प्याज की खेती (pyaj ki kheti)

प्याज की खेती कैसे करें

प्याज की खेती कैसे करें: बारिश, खरीफ और गर्मी में सफल उत्पादन की सम्पूर्ण जानकारी

भारत में प्याज की खेती एक महत्वपूर्ण नकदी फसल के रूप में जानी जाती है। देश में लगभग हर राज्य में प्याज की खेती होती है, खासकर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान में। यह फसल खरीफ, रबी और गर्मी—तीनों मौसमों में उगाई जा सकती है। इस लेख में हम जानेंगे कि बरसात में प्याज की खेती कैसे करें, खरीफ में प्याज की खेती कैसे करें, और गर्मी में प्याज की खेती कैसे करें

🌾 1. खेत की तैयारी (खेत की मिट्टी कैसी हो?) – विस्तृत जानकारी

1.1 मिट्टी का प्रकार (Type of Soil)

  • प्याज की अच्छी उपज के लिए बलुई दोमट (Sandy Loam), काली मिट्टी (Black Soil) और दोमट मिट्टी (Loamy Soil) सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
  • भूमि नम, भुरभुरी, और अच्छी जल निकासी वाली होनी चाहिए ताकि प्याज के कंद (bulbs) अच्छे से विकसित हो सकें।
  • मिट्टी गहरी और नमीयुक्त होनी चाहिए, लेकिन जलभराव नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे प्याज की जड़ें सड़ सकती हैं।

1.2 pH मान (Soil pH Level)

  • प्याज की खेती के लिए मिट्टी का pH 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
  • इससे पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है और फसल की वृद्धि अच्छी होती है।
  • यदि मिट्टी अम्लीय हो (pH 5.5 से कम), तो चूना (lime) डालकर संतुलन करें।

1.3 मिट्टी की जांच (Soil Testing)

  • खेती शुरू करने से पहले मृदा परीक्षण (Soil Testing) अवश्य कराएं।
  • इससे यह पता चलता है कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व कम हैं।
  • नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या राज्य कृषि विभाग में यह सेवा उपलब्ध होती है।

1.4 खेत की जुताई (Ploughing the Field)

  • खेत को 2 से 3 बार हल या रोटावेटर से गहराई तक जोतें ताकि मिट्टी भुरभुरी और समतल हो जाए।
  • प्रत्येक जुताई के बाद पाटा (Leveler) चलाना ज़रूरी है ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे।
  • वर्षा ऋतु में, उथली उठी हुई क्यारियों (Raised Beds) पर प्याज की खेती करनी चाहिए, जिससे जल निकासी में मदद मिलती है।

1.5 कार्बनिक खाद का उपयोग (Use of Organic Manure)

  • अंतिम जुताई के समय खेत में प्रति हेक्टेयर 20-25 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद या कंपोस्ट मिलाएं।
  • यह मिट्टी की उर्वरकता, संरचना और नमी धारण क्षमता को बढ़ाता है।

1.6 जल निकासी की व्यवस्था (Drainage Management)

  • बरसात या खरीफ में प्याज की खेती करते समय जलभराव से फसल बचाना बहुत जरूरी है।
  • इसके लिए 4-5 इंच ऊंची क्यारियाँ बनाएं और नालियों की उचित व्यवस्था करें जिससे अतिरिक्त पानी आसानी से निकल जाए।

1.7 लेवलिंग और खेत की आकृति (Land Levelling and Layout)

  • खेत को समतल करें, या हल्की ढाल वाली आकृति दें ताकि पानी का प्रवाह उचित दिशा में हो सके।
  • प्याज की खेती में Raised Bed पद्धति अधिक उपयोगी होती है, विशेष रूप से बारिश में प्याज की खेती के लिए।

🌱 2. बीज उपचार और चयन – पूरी जानकारी

2.1 बीज चयन (Seed Selection)

बीज का चयन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

🔹 बीज की गुणवत्ता (Seed Quality):

  • बीज शुद्ध, रोग-मुक्त और प्रमाणित स्रोत से खरीदे गए हों।
  • अंकुरण क्षमता कम से कम 80% या उससे अधिक होनी चाहिए।
  • बीज आकार में समान, चमकदार और पतले छिलके वाले हों।

🔹 बीज की किस्में (Popular Onion Varieties):

किस्म का नामविशेषताएँमौसम
नासिक रेडलाल रंग, मध्यम आकार, भंडारण योग्यखरीफ/रबी
अर्का निकेतनजल्दी पकने वाली, अच्छी भंडारण क्षमतारबी
भूतनाथगर्मी के लिए उपयुक्त, अधिक उपज देने वालीगर्मी
अर्का कल्याणकीट-रोग प्रतिरोधक, बाजार में मांग अधिकखरीफ/गर्मी
NHRDF Redउन्नत किस्म, कंद आकार में एकरूपतासभी मौसम

👉 प्रमाणित बीज आप NHRDF (National Horticulture Research and Development Foundation) या ICAR-IIHR से खरीद सकते हैं।

2.2 बीज उपचार (Seed Treatment)

बीज उपचार से अंकुरण बेहतर होता है और फसल की प्रारंभिक अवस्था में रोगों से सुरक्षा मिलती है। प्याज के बीजों को फफूंदजनित और बैक्टीरियल रोगों से बचाने के लिए निम्न विधियों का पालन करें:

🔹 फफूंदनाशी द्वारा उपचार (Fungicide Treatment):

  • कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलो बीज या
  • थायरम 3 ग्राम प्रति किलो बीज या
  • मैनकोजेब 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज का उपयोग करें।
  • बीजों को फफूंदनाशी पाउडर से अच्छी तरह मिलाकर छाया में सुखा लें।

🔹 बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट (जैविक उपचार):

  • Trichoderma viride या Pseudomonas fluorescens जैव उर्वरकों से उपचार करें (5 ग्राम प्रति किलो बीज)।
  • यह जैविक तरीके से बीज को रोगों से सुरक्षा देते हैं और मिट्टी में लाभकारी माइक्रोब्स को बढ़ावा देते हैं।

🔹 नमक पानी द्वारा उपचार (Saline Water Test):

  • बीजों को 10% नमक वाले पानी में डालें। जो बीज तैर जाएं उन्हें निकाल दें (वे हल्के, खराब बीज होते हैं)।
  • जो बीज नीचे बैठें, वे उपयोग योग्य हैं।
  • इन बीजों को साफ पानी से धोकर सुखा लें और फिर उपचार करें।

2.3 बीज की मात्रा (Seed Rate):

मौसमबीज की मात्रा (प्रति हेक्टेयर)
खरीफ8 – 10 किलोग्राम
रबी10 – 12 किलोग्राम
गर्मी12 – 14 किलोग्राम

बीज की मात्रा नर्सरी या डायरेक्ट रोपण पर भी निर्भर करती है।

2.4 बीज भंडारण (Seed Storage):

  • बीजों को हवा चलने वाली, ठंडी और सूखी जगह में रखें।
  • बीजों को हवा बंद डब्बों या जूट की बोरियों में रखा जाना चाहिए।
  • नीम की सूखी पत्तियों को साथ रखने से कीट नहीं लगते।

📌 महत्वपूर्ण सुझाव (Pro Tips):

  • पुराने बीजों (1 साल से ज्यादा पुराने) का प्रयोग न करें क्योंकि उनकी अंकुरण क्षमता घट जाती है।
  • यदि मौसम आद्र है (जैसे बरसात में प्याज की खेती के समय), तो बीज उपचार करना और भी जरूरी है।
  • यदि जैविक खेती करना चाहें तो बीज को गोमूत्र, नीम पत्ती का अर्क या अग्निहोत्र राख से भी उपचारित किया जा सकता है।

🌱 3. रोपण: बुवाई का सही समय व तरीका (Sowing Time and Method) – विस्तृत जानकारी

3.1 प्याज की खेती के मौसम (Onion Cultivation Seasons in India)

प्याज एक ऐसी फसल है जिसे साल में तीन बार बोया जा सकता है — खरीफ, रबी, और गर्मी में।

मौसमबुवाई का समयरोपाई का समयफसल कटाई (तैयारी)
खरीफजून – जुलाईजुलाई – अगस्तअक्टूबर – नवंबर
रबीअक्टूबर – नवंबरनवंबर – दिसंबरमार्च – अप्रैल
गर्मीजनवरी – फरवरीफरवरी – मार्चमई – जून

👉 ध्यान दें: बुवाई और रोपाई का समय स्थानीय जलवायु और वर्षा पर भी निर्भर करता है।

3.2 प्याज की नर्सरी तैयार करना (Nursery Bed Preparation)

🔹 नर्सरी की ज़रूरत:

प्याज की खेती के लिए पहले बीज नर्सरी में बोए जाते हैं, जिससे स्वस्थ पौध तैयार होती है। बाद में इन्हें मुख्य खेत में रोपित किया जाता है।

🔹 नर्सरी का आकार और दिशा:

  • नर्सरी की क्यारियाँ 1 मीटर चौड़ी, 3-4 मीटर लंबी रखें।
  • क्यारियों के बीच 30 सेमी चौड़ी नालियाँ बनाएं ताकि पानी निकल सके।
  • उत्तर-दक्षिण दिशा में नर्सरी बनाना उचित रहता है।

🔹 नर्सरी के लिए बीज मात्रा:

  • प्रति हेक्टेयर खेत के लिए नर्सरी में लगभग 8-12 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

🔹 बुवाई विधि:

  • बीजों को 1 सेमी गहराई पर छाया में बोएं।
  • बीजों पर पतली मिट्टी और पुआल या सूखी घास डालें ताकि नमी बनी रहे।

3.3 पौध रोपण का सही समय और तरीका (Transplanting Time and Method)

🔹 रोपाई का समय:

  • बीज बोने के 40-45 दिन बाद जब पौधें 10-15 सेमी लंबी हो जाएं, तब उन्हें मुख्य खेत में रोपें।
  • पौधों की जड़ों को हल्के पानी में धोकर मिट्टी से साफ करें।

🔹 रोपाई से पहले पौध की तैयारी:

  • 12-24 घंटे पहले खेत में हल्की सिंचाई करें ताकि खेत नरम हो जाए।
  • पौध को छाया में कुछ घंटों के लिए छोड़ दें ताकि वह झुलसने से बचे।

🔹 रोपण विधि:

दूरीमात्रा
कतार से कतार15-20 सेमी
पौधे से पौधे10-12 सेमी
गहराई2-3 सेमी
  • पौध को सीधे खड़ा करके मिट्टी में लगाएं।
  • रोपाई के बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें।

3.4 सीधी बुवाई (Direct Sowing) – जब नर्सरी संभव न हो

कुछ क्षेत्रों में गर्मी के मौसम में या व्यावसायिक खेती में सीधे बीज को खेत में बोया जाता है।

🔹 विधि:

  • खेत को भलीभांति तैयार करें और क्यारियाँ बनाएं।
  • सीड ड्रिल या हाथ से 1-1.5 सेमी गहराई पर बीज बोएं।
  • हल्की सिंचाई करें।

🔹 सावधानी:

  • सीधी बुवाई में खरपतवार नियंत्रण और सिंचाई पर अधिक ध्यान देना पड़ता है।

3.5 Raised Bed या Ridge & Furrow पद्धति का उपयोग

खासकर बरसात में प्याज की खेती के लिए यह तकनीक बेहद लाभदायक होती है।

🔹 लाभ:

  • जल निकासी अच्छी होती है।
  • पौधों की जड़ों में सड़न नहीं होती।
  • फसल की वृद्धि अधिक होती है।

📌 महत्वपूर्ण सुझाव (Key Tips):

  • रोपाई के 5-7 दिन बाद हल्की सिंचाई करें, इससे पौध अच्छी तरह जम जाती है।
  • अत्यधिक गहराई पर रोपाई न करें, इससे कंद विकास प्रभावित होता है।
  • खरीफ में प्याज की खेती करते समय बारिश से बचाव के लिए पॉलिथीन या नेट का उपयोग किया जा सकता है।

💧 4. सिंचाई: कितनी बार और कैसे करें? (Irrigation in Onion Farming – Complete Guide)

4.1 सिंचाई का महत्व (Importance of Irrigation)

  • प्याज एक सतही जड़ वाली फसल है, इसलिए इसे नियमित और नियंत्रित सिंचाई की आवश्यकता होती है।
  • सिंचाई न केवल पौधे की वृद्धि को प्रभावित करती है, बल्कि कंद के आकार, स्वाद, और भंडारण क्षमता पर भी प्रभाव डालती है।
  • अत्यधिक या कम सिंचाई दोनों ही हानिकारक हो सकते हैं:
    • अधिक पानी → जड़ सड़न, कीट और रोग
    • कम पानी → छोटे कंद, कम उत्पादन

4.2 मौसम के अनुसार सिंचाई की योजना (Irrigation Schedule by Season)

मौसमसिंचाई की आवृत्ति (Interval)विशेष ध्यान
खरीफ7-10 दिन में एक बार (यदि वर्षा नहीं हो)वर्षा के समय जल निकासी अनिवार्य
गर्मी5-6 दिन में एक बारमिट्टी में नमी बनाए रखें
रबी10-12 दिन में एक बारपाले से बचाव करें

👉 ध्यान दें: मिट्टी के प्रकार के अनुसार सिंचाई की आवश्यकता घट-बढ़ सकती है। बलुई मिट्टी में अधिक बार सिंचाई करनी पड़ती है, जबकि काली या दोमट मिट्टी में नमी अधिक देर रहती है।

4.3 सिंचाई की प्रमुख अवस्थाएं (Critical Irrigation Stages)

प्याज की फसल में निम्न अवस्थाओं पर सिंचाई करना अनिवार्य है:

  1. रोपाई के तुरंत बाद: हल्की सिंचाई करें ताकि पौध अच्छी तरह जम जाए।
  2. जड़ विकास अवस्था (20-25 दिन बाद): इस समय पानी की सही मात्रा जरूरी होती है।
  3. कंद विकास अवस्था (40-60 दिन): अधिक ध्यान दें क्योंकि यहीं प्याज का आकार बनता है।
  4. कटाई से 10-12 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें: इससे कंद सूखते हैं और भंडारण योग्य बनते हैं।

4.4 सिंचाई की विधियाँ (Irrigation Methods)

🔹 1. फव्वारा सिंचाई (Sprinkler Irrigation):

  • पानी की बचत करता है।
  • पत्ती झुलसा जैसे रोगों का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए सावधानी रखें।

🔹 2. ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation):

  • सबसे उपयुक्त और आधुनिक विधि।
  • सीधे जड़ों में पानी पहुँचता है, जिससे फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है।
  • पानी और उर्वरक दोनों की बचत होती है।

🔹 3. नालियों के माध्यम से सिंचाई (Furrow Irrigation):

  • पारंपरिक और सामान्य विधि।
  • Raised bed पद्धति में भी यही उपयोगी है।
  • जल निकासी सही होनी चाहिए।

4.5 बरसात में प्याज की खेती: जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान

  • बरसात में प्याज की खेती कैसे करें, इसका मुख्य उत्तर जलनिकासी में छिपा है।
  • खेत में उठी हुई क्यारियाँ (Raised Beds) बनाएं।
  • नालियों को चौड़ा और गहरा रखें जिससे अतिरिक्त पानी तुरंत निकल सके।
  • लगातार बारिश में सिंचाई की जरूरत नहीं, बल्कि जलभराव से बचाव ज्यादा जरूरी है।

4.6 सिंचाई में सावधानियाँ (Precautions in Irrigation)

  • भारी सिंचाई न करें, इससे मिट्टी कठोर हो जाती है और कंद पर बुरा असर पड़ता है।
  • कटाई से पहले सिंचाई न करें, इससे प्याज सड़ सकता है और भंडारण में नुकसान होता है।
  • खेत में ठहरे पानी से बचाव अनिवार्य है, खासकर खरीफ और बरसात के मौसम में।

📌 सुझाव (Expert Tips):

  • सिंचाई करने से पहले उंगली से मिट्टी की नमी जांचें – यदि मिट्टी गीली है तो सिंचाई न करें।
  • प्याज की खेती में “कम पानी, बार-बार” वाला सिद्धांत अपनाएं।
  • सिंचाई के साथ-साथ खरपतवार नियंत्रण भी साथ में करें, जिससे जल का सही उपयोग हो।

🌾 5. उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management in Onion Farming) – पूरी जानकारी

5.1 उर्वरक प्रबंधन का महत्व (Importance of Fertilizer Management)

  • प्याज की फसल को संतुलित पोषण चाहिए: नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P) और पोटाश (K) तीनों पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।
  • उर्वरकों का सही समय और मात्रा में प्रयोग:
    • कंद का आकार बढ़ाता है,
    • फसल को रोगों से बचाता है,
    • और उपज में 20-30% तक वृद्धि कर सकता है।

5.2 जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलन (Organic + Chemical Combination)

🔹 जैविक खाद (Organic Manures):

  • खेत तैयार करते समय 20-25 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें।
  • जैविक खाद मिट्टी की संरचना और जलधारण क्षमता को बेहतर बनाती है।

🔹 हरी खाद (Green Manure):

  • प्याज बोने से पहले खेत में धैंचा या सनई जैसी फसलें बोकर खेत जोतें।
  • यह जैविक नाइट्रोजन उपलब्ध कराती है।

5.3 आवश्यक रासायनिक उर्वरक मात्रा (Recommended Chemical Fertilizers)

उर्वरक का नाममात्रा (प्रति हेक्टेयर)उपयोग का समय
नाइट्रोजन (N)100 – 120 किलोग्रामआधा बुवाई के समय, आधा 30 दिन बाद
फॉस्फोरस (P₂O₅)50 – 60 किलोग्रामपूरा बुवाई के समय
पोटाश (K₂O)40 – 50 किलोग्रामपूरा बुवाई के समय
गंधक (Sulphur)20 – 25 किलोग्रामएक बार बुवाई के साथ
जिंक, बोरानआवश्यकतानुसार सूक्ष्म पोषक तत्व (soil test के अनुसार)

👉 नोट: उर्वरकों की मात्रा स्थानीय मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट (Soil Testing Report) के अनुसार समायोजित की जानी चाहिए।

5.4 उर्वरक देने की विधि (Fertilizer Application Methods)

🔹 बेसल डोज (Basal Dose):

  • बुवाई या रोपाई के समय नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा खेत में मिला दें।

🔹 टॉप ड्रेसिंग (Top Dressing):

  • रोपाई के 30-35 दिन बाद नाइट्रोजन की बची हुई आधी मात्रा छिड़काव करें।
  • यदि मौसम गर्म और सूखा हो तो टॉप ड्रेसिंग से तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।

5.5 ड्रिप सिंचाई में फर्टिगेशन (Fertigation via Drip):

ड्रिप सिस्टम में उर्वरकों को पानी में घोलकर सीधे जड़ों तक पहुँचाया जा सकता है, जिससे:

  • उर्वरक की 30-40% तक बचत होती है,
  • फसल की वृद्धि बेहतर होती है,
  • पौधों को प्रत्येक चरण पर पोषण मिलता है।

सप्ताहवार फर्टिगेशन प्लान भी बनाया जा सकता है।

5.6 उर्वरक प्रयोग में सावधानियाँ (Precautions in Fertilizer Use)

  • उर्वरकों को नमी में न रखें, इससे उनकी गुणवत्ता घट जाती है।
  • अत्यधिक नाइट्रोजन से कंद छोटे और कमजोर होते हैं।
  • पत्तियों के रंग, विकास और कंद की स्थिति देखकर ही अतिरिक्त उर्वरक दें।
  • खरपतवार मौजूद हो तो उर्वरकों का असर घटता है, इसलिए पहले खरपतवार नियंत्रण करें।

5.7 पोषक तत्व की कमी के लक्षण (Deficiency Symptoms)

पोषक तत्वकमी के लक्षण
नाइट्रोजनपत्तियों का पीला पड़ना
फॉस्फोरसपत्तियों का गहरा हरा होना, विकास धीमा होना
पोटाशकिनारे से पत्तियों का सूखना
गंधकनई पत्तियाँ हल्के पीले रंग की

🐛 6. कीट और रोग नियंत्रण (Onion Pest and Disease Control) – विस्तृत जानकारी

6.1 प्याज की फसल में मुख्य कीट (Major Insects in Onion Farming)

🔹 1. थ्रिप्स (Thrips – Thrips tabaci)

पहचाननियंत्रण
– पत्तियों पर सिल्वर रंग की धारियाँ– नीम तेल 5 मिली/लीटर पानी में छिड़काव करें
– पत्तियाँ मुरझाने लगती हैं– इमिडाक्लोप्रिड 0.3 मिली/लीटर छिड़कें
– कंद छोटे और हल्के बनते हैं– फेरोमोन ट्रैप या चिपचिपा ट्रैप लगाएं

🔹 2. सफेद कीड़ा (Onion Maggot – Delia antiqua)

पहचाननियंत्रण
– जड़ों पर सफेद कीड़ों का हमला– ट्राइकोडर्मा और नीम केक का प्रयोग करें
– पौधा धीरे-धीरे सूखने लगता है– क्लोरोपायरीफॉस 2.5 मिली/लीटर छिड़कें

🔹 3. पत्ते खाने वाले कीट (Leaf Eating Caterpillar)

पहचाननियंत्रण
– पत्तियाँ कटी-कटी नजर आती हैं– स्पिनोसैड 1 मिली/लीटर या बैसिलस थुरिंजिनेसिस का प्रयोग करें

6.2 प्याज की फसल में प्रमुख रोग (Major Diseases in Onion Farming)

🔹 1. पत्ती झुलसा (Purple Blotch – Alternaria porri)

लक्षणनियंत्रण
– पत्तियों पर बैंगनी रंग के धब्बे– मैनकोजेब 2 ग्राम/लीटर छिड़काव
– बाद में पत्तियाँ सूख जाती हैं– रोगग्रस्त पत्तियाँ खेत से निकालें

🔹 2. डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew – Peronospora destructor)

लक्षणनियंत्रण
– पत्तियों पर ग्रे रंग की फफूंद– मेटालैक्ज़िल + मैनकोजेब का मिश्रण छिड़कें (2.5 ग्राम/लीटर)
– ठंडी और नमी वाली स्थिति में तेजी से फैलता है– नमी नियंत्रण, अच्छी जल निकासी रखें

🔹 3. स्टेमफीलियम ब्लाइट (Stemphylium Blight)

लक्षणनियंत्रण
– पत्तियाँ पीली होकर सूखने लगती हैं– प्रोपीनेब या क्लोरोथालोनिल का छिड़काव करें

🔹 4. सफेद सड़न (White Rot – Sclerotium cepivorum)

लक्षणनियंत्रण
– जड़ों के पास सफेद फफूंद– रोगग्रस्त पौधों को जला दें
– जमीन में नीम खली या ट्राइकोडर्मा डालें– रोग से बचने के लिए फसल चक्र अपनाएं

6.3 जैविक कीट नियंत्रण उपाय (Organic Pest Management Methods)

उपायविधि
नीम का अर्क5% नीम के पत्तों का काढ़ा छिड़कें
गोमूत्र अर्क10% गोमूत्र + लहसुन + मिर्च घोल छिड़कें
ट्राइकोडर्मा5 ग्राम प्रति किलो बीज उपचार और खेत में मिलाएं

6.4 रोकथाम के उपाय (Preventive Measures)

  1. फसल चक्र (Crop Rotation) अपनाएं – लगातार एक ही खेत में प्याज न लगाएं।
  2. बीज उपचार अवश्य करें – जैविक या रासायनिक विधियों से।
  3. खेत की जल निकासी उचित होनी चाहिए, खासकर बरसात में।
  4. प्रमाणित बीज और रोगमुक्त पौध का उपयोग करें।
  5. खरपतवार नियंत्रण करें क्योंकि वे रोगों का घर बन जाते हैं।

🌿 7. खरपतवार नियंत्रण (Weed Management in Onion Farming) – विस्तृत जानकारी

7.1 खरपतवार क्यों खतरनाक हैं? (Why Weeds Are Harmful?)

  • खरपतवार प्याज की फसल से पोषक तत्व, नमी और जगह छीनते हैं।
  • यह कीटों और रोगों का आश्रय स्थल बन जाते हैं।
  • फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को प्रभावित करते हैं।
  • मशीन या हाथ से कटाई में अवरोध उत्पन्न करते हैं।

7.2 प्याज में प्रमुख खरपतवार (Common Weeds in Onion Fields)

खरपतवार का नामपहचान
दूब घास (Cynodon dactylon)रेंगती हुई पतली हरी घास
मोथा घास (Cyperus rotundus)गहरे रंग की छोटी पत्तियों वाली घास
बन-पालक (Chenopodium album)मोटी हरी पत्तियों वाला पौधा
बथुआ, कृष्ण नील (Commelina spp.)नमी वाले क्षेत्रों में अधिक

7.3 खरपतवार नियंत्रण के तरीके (Methods of Weed Control)

🔹 1. यांत्रिक नियंत्रण (Mechanical Control)

विधिविवरण
हाथ से निराई15-20 और 40-45 दिन बाद निराई करें
खुरपी या हंसियाघनी घास के लिए उपयोगी, जड़ों से निकालें
मल्चिंग (Mulching)पुआल, प्लास्टिक शीट या काले पॉलिथीन से ढककर खरपतवार उगने से रोकें

👉 यह तरीका जैविक खेती करने वालों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।

🔹 2. रासायनिक नियंत्रण (Chemical Control)

रसायन का नाममात्रा (प्रति लीटर पानी)प्रयोग का समय
पेंडिमिथालिन 30% EC3.3 लीटर/हेक्टेयरबुवाई के बाद लेकिन अंकुरण से पहले (Pre-emergence)
ऑक्सीडायजनिल0.75-1.0 लीटर/हेक्टेयरअंकुरण के 15-20 दिन बाद (Post-emergence)

👉 सावधानियाँ:

  • छिड़काव करते समय सही नोजल और मात्रा का प्रयोग करें।
  • बरसात के मौसम में रासायनिक छिड़काव के तुरंत बाद पानी न लगने दें।

🔹 3. जैविक विधियाँ (Organic Methods)

उपायलाभ
गोमूत्र आधारित स्प्रेखरपतवार को धीरे-धीरे समाप्त करता है
मल्चिंगखरपतवार की वृद्धि को दबाता है
बार-बार निराईपर्यावरण को बिना नुकसान पहुँचाए नियंत्रण करता है

7.4 खरपतवार नियंत्रण का सही समय (Right Timing for Weed Control)

दिनक्रिया
0-5 दिनपेंडिमिथालिन छिड़काव (Pre-emergence)
15-20 दिनपहली निराई या Post-emergence स्प्रे
30-45 दिनदूसरी निराई, खेत की सफाई
60-70 दिनआवश्यकतानुसार अंतिम निराई

7.5 Raised Bed में खरपतवार नियंत्रण के फायदे

  • पानी और उर्वरक का सटीक उपयोग होता है।
  • खरपतवार नियंत्रण आसान होता है।
  • बरसात में प्याज की खेती में विशेष लाभदायक।

📌 महत्वपूर्ण सुझाव (Expert Tips):

  • खरपतवारों को फलने-फूलने से पहले हटा देना चाहिए, नहीं तो बीज बनाकर खेत में फैल जाते हैं।
  • रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से बचें – मिट्टी की सेहत और पर्यावरण का ध्यान रखें।
  • जैविक और यांत्रिक विधियों का मिश्रण सबसे अच्छा और टिकाऊ समाधान होता है।

🧺 8. कटाई और भंडारण (Harvesting and Storage of Onion) – विस्तृत जानकारी

8.1 कटाई का सही समय (Right Time for Harvesting)

कटाई जल्दी या देर से करने पर नुकसान होता है। इसलिए समय का सही निर्धारण जरूरी है।

🔍 कैसे पहचानें कि प्याज कटाई के लिए तैयार है?

संकेतविवरण
✅ पत्तियाँ 50-70% मुरझा जाएंहरे से पीले रंग में बदल जाएं
✅ गर्दन नरम हो जाएऊपर से सूख जाए और आसानी से मुड़ जाए
✅ कंद का आकार भरपूर होचमकदार और टाइट स्किन

👉 गर्मी की फसल: अप्रैल – मई
👉 खरीफ की फसल: नवंबर – दिसंबर
👉 बरसात में प्याज की खेती: जल निकासी की विशेष व्यवस्था के बाद कटाई करें

8.2 कटाई की विधि (Harvesting Method)

  1. हल्की सिंचाई 2-3 दिन पहले करें – इससे मिट्टी नरम हो जाती है और प्याज आसानी से निकलता है।
  2. खुरपी, फावड़ा या हाथ से कंद निकालें।
  3. कंद को साफ मिट्टी से झाड़ें – पानी से न धोएं।
  4. धूप में 3-5 दिन सुखाएं, ताकि ऊपरी परत सूख जाए और स्किन मजबूत बने।
  5. सूखने के बाद ऊपर की पत्तियाँ 2-3 सेमी छोड़कर काटें।

8.3 भंडारण के लिए प्याज की तैयारी (Curing of Onion)

Curing = प्याज को पूरी तरह सुखाना ताकि यह स्टोर करने लायक हो।

चरणविवरण
धूप में सुखानाकटाई के तुरंत बाद 5–7 दिन तक खुली धूप में
पत्तियाँ सूख जाएंगले से लेकर स्किन तक सूखनी चाहिए
स्किन चमकदार होप्याज पर टाइट सूखी बाहरी परत होनी चाहिए

👉 यह चरण प्याज को सड़न और फंगस से बचाता है।

8.4 भंडारण की विधियाँ (Storage Techniques)

🔹 1. पारंपरिक भंडारण (Traditional Storage):

विशेषताविवरण
स्थानहवादार और सूखा कमरा
ऊंचाईजमीन से 1–2 फीट ऊँचाई पर बाँस/लकड़ी की मचान
छायासीधी धूप और वर्षा से बचाव
ढेर की ऊँचाई3–4 फीट से अधिक न हो

🔹 2. वैज्ञानिक प्याज भंडारण संरचना (Scientific Storage Structures):

संरचनाविवरण
NHRDF मॉडलस्टील या बांस से बनी ढाँचेदार संरचना
ऊंचाई1.5 फीट ऊपर मचाननुमा प्लेटफार्म
वेंटिलेशनसभी तरफ खुला ताकि हवा लगातार चलती रहे
छतटिन या खपरैल की, जो गर्मी से बचाए

8.5 भंडारण में सावधानियाँ (Precautions During Storage)

  • भंडारण से पहले कंद पूरी तरह सूखे होने चाहिए।
  • घायल या कटे प्याज अलग निकाल दें, ये जल्दी सड़ते हैं।
  • बारिश या अत्यधिक नमी से बचाव हो।
  • भंडारण स्थल में नमी 60-70% और तापमान 25-30°C के बीच हो।

8.6 कौन सी किस्में भंडारण के लिए उपयुक्त हैं?

किस्म का नामभंडारण क्षमता
नासिक रेडउच्च (3-4 माह)
अर्का निकेतनमध्यम
भूतनाथअच्छी
अर्का कल्याणबहुत अच्छी

8.7 भंडारण में होने वाली समस्याएँ और समाधान

समस्यासमाधान
प्याज का अंकुरणकम तापमान, छायादार और सूखी जगह रखें
सड़ननियमित छंटाई करें, हवा का प्रवाह बनाए रखें
फफूंद लगनाभंडारण से पहले पूरा सुखाएं, नीम की सूखी पत्तियाँ रखें

📌 महत्वपूर्ण सुझाव (Pro Tips):

  • भंडारण से पहले प्याज को कभी भी न धोएं
  • प्याज को प्लास्टिक बैग या बंद टोकरी में न रखें – यह नमी रोकती है और सड़न बढ़ती है।
  • हर 15-20 दिन में भंडारण प्याज की जांच अवश्य करें।

        9. प्याज की खेती में लाभ और लागत

        विवरणअनुमानित खर्च (प्रति हेक्टेयर)
        बीज₹10,000 – ₹15,000
        उर्वरक₹8,000 – ₹10,000
        श्रम व सिंचाई₹15,000 – ₹20,000
        कीटनाशक आदि₹5,000 – ₹8,000
        कुल खर्च₹40,000 – ₹50,000
        उपज150-250 क्विंटल
        लाभ₹1,20,000 – ₹2,00,000 तक

        नोट: लागत और लाभ स्थान, जलवायु और बाजार मूल्य के अनुसार बदल सकते हैं।

        10. प्याज की खेती से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल-जवाब (FAQ)

        Q1: बरसात में प्याज की खेती कैसे करें?

        उत्तर: बरसात में प्याज की खेती करने के लिए Raised Bed या Ridge & Furrow तकनीक अपनाएं जिससे जल निकासी बनी रहे। रोग और सड़न से बचाने के लिए कंद वाली किस्मों का चयन करें और खेती से पहले खेत को अच्छी तरह से जीवाणुनाशक से उपचारित करें।

        Q2: खरीफ में प्याज की बुवाई कब करें?

        उत्तर: खरीफ प्याज की बुवाई जून से जुलाई के बीच करें और रोपाई जुलाई के अंत या अगस्त के पहले सप्ताह में करें। वर्षा नियंत्रण और कीट-रोग से बचाव के उपाय आवश्यक हैं।

        Q3: प्याज की कौन-सी किस्में सबसे बेहतर हैं?

        उत्तर: भंडारण और उत्पादन के हिसाब से कुछ प्रमुख किस्में हैं:

        • नासिक रेड
        • अर्का निकेतन
        • अर्का कल्याण
        • भूतनाथ
        • अग्रोटेक लाल (गर्मी के लिए)

        Q4: प्याज की फसल की सिंचाई कितनी बार करनी चाहिए?

        उत्तर:

        • गर्मी में: हर 5–6 दिन में
        • रबी में: हर 10–12 दिन में
        • खरीफ में: 7–10 दिन में (यदि वर्षा न हो)
          प्याज में हल्की लेकिन नियमित सिंचाई आवश्यक होती है।

        Q5: प्याज के बीज की मात्रा कितनी होनी चाहिए?

        उत्तर:

        • नर्सरी के लिए: 8–12 किग्रा बीज/हेक्टेयर
        • सीधी बुवाई के लिए: 15–20 किग्रा बीज/हेक्टेयर

        Q6: प्याज में कौन-कौन से कीट और रोग आम हैं?

        उत्तर:

        • प्रमुख कीट: थ्रिप्स, सफेद मक्खी, प्याज मैगोट
        • रोग: पर्पल ब्लॉच, डाउनी मिल्ड्यू, स्टेमफिलियम ब्लाइट
          समय पर जैविक या रासायनिक छिड़काव से इन्हें रोका जा सकता है।

        Q7: प्याज की फसल को कितने समय में काटा जाता है?

        उत्तर: फसल की कटाई रोपाई के 90–110 दिन बाद की जाती है। जब पत्तियाँ मुरझाने लगें और गर्दन नरम हो जाए, तब फसल कटाई के लिए तैयार मानी जाती है।

        Q8: प्याज की फसल के लिए कौन-सी मिट्टी उपयुक्त है?

        उत्तर: प्याज की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी, जिसमें अच्छी जलनिकासी हो और pH मान 6.0 – 7.5 के बीच हो, सर्वोत्तम मानी जाती है।

        Q9: प्याज की खेती के लिए सबसे अच्छी सिंचाई पद्धति कौन सी है?

        उत्तर: ड्रिप सिंचाई प्याज के लिए सबसे उपयुक्त है, इससे पानी और उर्वरक दोनों की बचत होती है और पौधों को जड़ से पोषण मिलता है।

        Q10: प्याज के भंडारण में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

        उत्तर:

        • प्याज पूरी तरह सूखा हो
        • छायादार, हवादार जगह पर रखें
        • जमीन से ऊँचाई पर मचान बनाकर रखें
        • घायल या सड़ी प्याज को अलग करें
        • बारिश और नमी से बचाव हो

        Q11: बारिश में प्याज की खेती करते समय सबसे बड़ी चुनौती क्या होती है?

        उत्तर: जलभराव और फफूंद जनित रोग सबसे बड़ी चुनौती होती है। Raised Bed पद्धति अपनाकर और उचित जल निकासी बनाकर इससे बचा जा सकता है।

        🌐 External Useful Links (बाहरी उपयोगी लिंक)

        ✍️ निष्कर्ष (Conclusion)

        प्याज की खेती यदि वैज्ञानिक तरीके से की जाए तो यह अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकती है। सही समय पर खेत की तैयारी, उन्नत बीज, उर्वरक का संतुलन प्रयोग, और कीट रोग नियंत्रण से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। चाहे आप बरसात में प्याज की खेती, खरीफ में प्याज की खेती या गर्मी में प्याज की खेती करना चाहें, इस मार्गदर्शन से आप अपने खेत में सफलता की प्याज फसल उगा सकते हैं।


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