उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए सरकारी योजनाएँ

उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए सरकारी योजनाएँ: एक संपूर्ण मार्गदर्शिका
उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे बड़ा राज्य, कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राज्य सरकार ने किसानों की भलाई और कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना, उनकी समस्याओं का समाधान करना और कृषि क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना है। इस लेख में, हम उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए उपलब्ध प्रमुख सरकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।
1. मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना (Mukhyamantri Krishak Durghatna Kalyan Yojana) का उद्देश्य किसानों और उनके परिवारों को कृषि कार्य करते समय होने वाली दुर्घटनाओं से उत्पन्न आर्थिक संकट से उबारना है। यह योजना 14 सितंबर 2019 से लागू है और इसके तहत किसानों की दुर्घटनावश मृत्यु या स्थायी विकलांगता की स्थिति में आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
🛡️ योजना की प्रमुख विशेषताएँ
- मृत्यु या पूर्ण विकलांगता: किसान की दुर्घटना में मृत्यु या दोनों हाथ-पैर या आंखों की पूर्ण क्षति होने पर ₹5 लाख तक की सहायता।
- आंशिक विकलांगता: 50% से अधिक स्थायी विकलांगता पर ₹2.5 लाख, और 25% से 50% विकलांगता पर ₹1.75 लाख तक की सहायता।
- कवरेज की विस्तृत श्रेणियाँ: आग, बाढ़, करंट, सांप के काटने, बिजली गिरना, भूस्खलन, आतंकवादी हमला, लूट, डूबना, मकान गिरना, आदि दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु या विकलांगता पर सहायता। Govt Schemes India
👥 पात्रता
- आयु सीमा: 18 से 70 वर्ष के बीच।
- कृषक वर्ग: खतौनी में दर्ज खातेदार, सहखातेदार, पट्टेदार, बटाईदार, और भूमिहीन किसान।
- आय का स्रोत: कृषि कार्य से होने वाली आय।
- आश्रित: मृतक के परिवार के सदस्य जैसे पत्नी, पुत्र, पुत्री, माता-पिता, बहू, पोता, पोती।
📄 आवेदन प्रक्रिया
- ऑनलाइन आवेदन: राजस्व परिषद की आधिकारिक वेबसाइट पर आवेदन किया जा सकता है।
- आवश्यक दस्तावेज़:
- खतौनी की प्रमाणित प्रति
- मृत्यु प्रमाण पत्र
- पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट (यदि उपलब्ध हो)
- दिव्यांगता प्रमाण पत्र
- आधार कार्ड, बैंक पासबुक, निवास प्रमाण पत्र, आयु प्रमाण पत्र, परिवार विवरण आदि।
💰 वित्तीय प्रावधान
- वित्तीय वर्ष 2025-26: इस वर्ष के लिए ₹1,050 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है।
- वितरण: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंबेडकरनगर में 431 लाभार्थियों को ₹21 करोड़ की राशि वितरित की। The Times of India
📍 संपर्क जानकारी
- ऑनलाइन आवेदन स्थिति: https://bor.up.nic.in/krishakaccidentscheme/Login/Search_application.aspx
2. उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन (National Mission on Natural Farming – NMNF)
भारत सरकार ने किसानों को रसायनमुक्त खेती की ओर प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन (एन.एम.एन.एफ.) की शुरुआत की है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इस मिशन को तेजी से लागू करने का निर्णय लिया है ताकि राज्य के किसानों को टिकाऊ खेती के मॉडल से जोड़ा जा सके।
मुख्य उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग (ZBNF) की ओर ले जाना है, जिसमें खाद और कीटनाशक जैसे रसायनों का प्रयोग न कर, गोबर, गौमूत्र, जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत आदि का उपयोग किया जाता है। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, उत्पादन लागत घटती है और उपज प्राकृतिक रूप से सुरक्षित रहती है।
उत्तर प्रदेश में लागू पहल
- उत्तर प्रदेश में इस मिशन के तहत हर जिले में चयनित ब्लॉकों में किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
- किसानों को प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से प्राकृतिक खेती की तकनीकें सिखाई जाती हैं।
- गाय आधारित कृषि को बढ़ावा देने के लिए गौशालाओं और छोटे किसानों को सहयोग दिया जा रहा है।
- किसानों को जीवामृत-घनजीवामृत तैयार करने की विधि और उसका प्रयोग बताने के लिए प्रदर्शन खेत तैयार किए जा रहे हैं।
- मिशन के तहत किसानों को प्रमाणीकरण (Certification) की सुविधा दी जा रही है ताकि उनकी उपज को बाजार में प्राकृतिक उत्पाद के रूप में उचित दाम मिल सके।
- राज्य सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने पर आर्थिक सहायता, प्रशिक्षण सामग्री और जैविक इनपुट्स उपलब्ध कराती है।
किसानों को लाभ
- रासायनिक खाद और कीटनाशकों पर खर्च खत्म हो जाता है, जिससे लागत कम होती है।
- मिट्टी की सेहत सुधरती है और उत्पादन लंबे समय तक टिकाऊ बनता है।
- किसानों को प्राकृतिक उपज का बेहतर दाम मिलता है।
- खेती के साथ-साथ पशुपालन को भी प्रोत्साहन मिलता है।
- जलवायु परिवर्तन और भूमि क्षरण जैसी समस्याओं का समाधान मिलता है।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन किसानों को कम लागत और अधिक लाभ वाली खेती की दिशा में ले जा रहा है। यह पहल न केवल किसानों की आय बढ़ाने में सहायक है बल्कि स्वस्थ भोजन, सुरक्षित पर्यावरण और टिकाऊ कृषि की ओर भी महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले वर्षों में यह योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और राज्य को रसायनमुक्त खेती का केंद्र बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगी।
3. भेड़ पालन पर सब्सिडी
योजना का उद्देश्य
उत्तर प्रदेश सरकार किसानों और पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने तथा रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए भेड़ पालन पर सब्सिडी योजना चला रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन को बढ़ावा देना, आत्मनिर्भरता बढ़ाना और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सहायता प्रदान करना है।
कौन ले सकता है लाभ
- छोटे और सीमांत किसान
- अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग
- बेरोजगार युवाओं को प्राथमिकता
- महिला पशुपालकों को भी योजना में शामिल किया गया है
सब्सिडी की राशि
इस योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को भेड़ पालन हेतु कुल लागत पर 50% तक की सब्सिडी दी जाती है। उदाहरण के लिए, यदि भेड़ पालन शुरू करने में ₹1,00,000 खर्च होता है तो ₹50,000 तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। राज्य सरकार द्वारा निर्धारित पात्रता के अनुसार यह राशि कम या अधिक भी हो सकती है।
आवेदन की प्रक्रिया
- नजदीकी पशुपालन विभाग कार्यालय से योजना की जानकारी प्राप्त करें।
- आवेदन फार्म भरकर आवश्यक दस्तावेज संलग्न करें।
- पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, भूमि विवरण और बैंक खाता जानकारी देना आवश्यक है।
- आवेदन ऑनलाइन पोर्टल या सीधे विभागीय कार्यालय में जमा किया जा सकता है।
- दस्तावेजों की जांच के बाद लाभार्थी का चयन किया जाता है।
आवश्यक दस्तावेज
- आधार कार्ड
- पहचान पत्र
- जाति प्रमाण पत्र (यदि लागू हो)
- निवास प्रमाण पत्र
- बैंक पासबुक की कॉपी
- भूमि या पशुपालन संबंधित प्रमाण
- पासपोर्ट साइज फोटो
लाभ और प्रभाव
- ग्रामीण क्षेत्र में अतिरिक्त आय का स्रोत
- पशुपालकों के लिए वित्तीय सहायता
- आत्मनिर्भरता और रोजगार बढ़ाने में मदद
- पशुपालन तकनीकों को अपनाने का अवसर
- महिलाओं और युवाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना
संपर्क करें
इस योजना से संबंधित अधिक जानकारी के लिए नजदीकी पशुपालन विभाग या जिला कृषि कार्यालय से संपर्क करें। उत्तर प्रदेश सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है।
यह योजना पशुपालकों के लिए एक अच्छा अवसर है जिससे वे अपने व्यवसाय को बढ़ाकर आर्थिक स्थिरता प्राप्त कर सकते हैं।
4. Soil Health Card Scheme
उत्तर प्रदेश में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme UP) किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी भूमि की उर्वरता, पोषक तत्वों की स्थिति और आवश्यक सुधारों की जानकारी देना है, ताकि वे वैज्ञानिक तरीके से खेती कर सकें और उत्पादन बढ़ा सकें।
योजना का उद्देश्य
इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी भूमि की मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में सही जानकारी प्रदान करना है। इससे किसान उचित खाद और पोषक तत्वों का उपयोग कर सकते हैं, जिससे मिट्टी की सेहत बेहतर होगी और फसल उत्पादन में वृद्धि होगी।
लाभ
- मिट्टी की जांच – मृदा परीक्षण के माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि खेत में कौन-कौन से पोषक तत्व हैं और किनकी कमी है।
- उचित उर्वरक का सुझाव – परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर किसानों को यह बताया जाता है कि कितनी मात्रा में खाद डालनी चाहिए।
- खर्च में कमी – वैज्ञानिक तरीके से उर्वरक और कीटनाशक का प्रयोग करने से अनावश्यक खर्च कम होता है।
- उत्पादन में वृद्धि – सही पोषक तत्व मिलने से फसल स्वस्थ होती है और उत्पादन बढ़ता है।
- पर्यावरण संरक्षण – रसायनों का नियंत्रित उपयोग करने से भूमि और जल स्रोत प्रदूषण से बचते हैं।
आवेदन प्रक्रिया
- किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय में जाकर आवेदन कर सकते हैं।
- ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर भी आवेदन किया जा सकता है। – https://www.soilhealth.dac.gov.in/
- आवश्यक दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, भूमि का विवरण, और पहचान पत्र देना होता है।
- आवेदन के बाद कृषि अधिकारी खेत से मिट्टी का नमूना लेकर परीक्षण करते हैं और रिपोर्ट प्रदान करते हैं।
महत्वपूर्ण बिंदु
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड हर 2 से 3 वर्षों में अपडेट किया जाता है।
- किसानों को प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से वैज्ञानिक खेती की जानकारी दी जाती है।
- यह योजना किसानों की आय बढ़ाने और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने में मदद करती है।
इस योजना से किसानों को अपनी भूमि की सही स्थिति समझने का अवसर मिलता है, जिससे वे कम लागत में अधिक उत्पादन कर सकते हैं और खेती को लाभकारी व्यवसाय बना सकते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार लगातार इस योजना का विस्तार कर रही है ताकि अधिक से अधिक किसानों तक इसका लाभ पहुंच सके।
5. PM Kusum C1 Yojana
PM Kusum C1 Yojana का उद्देश्य किसानों को सौर ऊर्जा के माध्यम से सिंचाई और बिजली उपलब्ध कराना है। यह योजना केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई है, और उत्तर प्रदेश में भी इसे लागू किया गया है ताकि किसान आत्मनिर्भर बन सकें और डीजल या अन्य ऊर्जा पर निर्भरता कम हो।
योजना की मुख्य विशेषताएं
PM Kusum C1 Yojana के तहत किसानों को सोलर पंप स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसमें केंद्र और राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाती है जिससे लागत का बोझ कम होता है। सोलर पंप की मदद से किसान खेतों में सिंचाई आसानी से कर सकते हैं।
पात्रता
इस योजना का लाभ वही किसान उठा सकते हैं जो उत्तर प्रदेश के स्थायी निवासी हैं। किसानों के पास कृषि भूमि होनी चाहिए और उन्हें सिंचाई के लिए पंप की आवश्यकता होनी चाहिए। इसके अलावा, पहले से किसी अन्य सरकारी योजना का लाभ न ले रहे किसानों को प्राथमिकता दी जाती है।
आवश्यक दस्तावेज
योजना में आवेदन करने के लिए निम्न दस्तावेज आवश्यक हैं:
- आधार कार्ड
- भूमि का खसरा/खतौनी विवरण
- पहचान पत्र
- बैंक खाता विवरण
- पासपोर्ट साइज फोटो
लाभ
इस योजना से किसानों को निम्न लाभ मिलते हैं:
- सौर ऊर्जा से सिंचाई की सुविधा
- बिजली की लागत में कमी
- पर्यावरण संरक्षण में मदद
- आत्मनिर्भरता बढ़ती है
आवेदन प्रक्रिया
किसान योजना के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के बाद संबंधित विभाग द्वारा दस्तावेजों की जांच की जाती है और पात्रता मिलने पर सब्सिडी प्रदान की जाती है। आवेदन प्रक्रिया सरल और पारदर्शी है।
योजना का प्रभाव
PM Kusum C1 Yojana से उत्तर प्रदेश के किसानों को आर्थिक राहत मिली है। सिंचाई की सुविधा मिलने से फसल उत्पादन बढ़ा है। साथ ही, सोलर ऊर्जा के उपयोग से पर्यावरण की रक्षा भी हो रही है और खेती की लागत में कमी आई है।
यह योजना किसानों के लिए एक बड़ी पहल है, जो उन्हें आधुनिक तकनीक से जोड़ते हुए सतत विकास की दिशा में ले जा रही है।
6. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पाइप लाइन पर सब्सिडी
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का उद्देश्य किसानों को सिंचाई सुविधाओं में मदद करना है ताकि वे कम लागत में प्रभावी सिंचाई कर सकें। इस योजना के अंतर्गत पाइप लाइन खरीदने पर किसानों को सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिससे वे आसानी से जल स्रोत से अपने खेतों तक पानी पहुंचा सकते हैं।
योजना का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को जल संरक्षण और जल का समुचित उपयोग सुनिश्चित करना है। पाइप लाइन के माध्यम से सिंचाई करने से पानी की बर्बादी कम होती है और खेतों तक समय पर जल पहुंचता है। इससे फसल की उत्पादकता बढ़ती है और किसानों की लागत घटती है।
पात्रता
इस योजना का लाभ वही किसान ले सकते हैं जो:
- उत्तर प्रदेश का निवासी हो
- कृषि कार्य कर रहा हो
- सिंचाई के लिए पाइप लाइन खरीदना चाहता हो
- आवश्यक दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, भूमि का रिकॉर्ड, बैंक खाता विवरण आदि उपलब्ध कराए
मिलने वाली सब्सिडी
इस योजना के तहत किसानों को पाइप लाइन खरीदने पर 50% से 70% तक की सब्सिडी प्रदान की जाती है। सब्सिडी की राशि किसान के आकार, भूमि क्षेत्र और सिंचाई की आवश्यकता के अनुसार निर्धारित होती है। यह सहायता सीधे किसानों के बैंक खाते में भेजी जाती है।
आवेदन प्रक्रिया
किसानों को निम्नलिखित प्रक्रिया अपनानी होती है:
- अपने नजदीकी कृषि विभाग या ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करें।
- आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें।
- भूमि और सिंचाई की आवश्यकता का विवरण दें।
- सत्यापन के बाद सब्सिडी स्वीकृत कर दी जाती है।
लाभ
- जल की बचत होती है
- सिंचाई का खर्च कम होता है
- फसल उत्पादन में वृद्धि होती है
- समय पर पानी मिलने से फसल सुरक्षित रहती है
- छोटे और सीमांत किसानों को विशेष लाभ मिलता है
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पाइप लाइन पर सब्सिडी किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे सिंचाई की सुविधाओं में सुधार होता है, जल का संरक्षण होता है, और कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। यह योजना उत्तर प्रदेश के किसानों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने में सहायक है।
7. हाइटेक नर्सरी पर सब्सिडी
योजना का उद्देश्य
उत्तर प्रदेश सरकार की यह योजना किसानों और उद्यमियों को हाइटेक नर्सरी स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इसका मुख्य उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले पौधे और कृषि उत्पादों का उत्पादन बढ़ाना और किसानों की आय में सुधार करना है।
लाभार्थी कौन हो सकते हैं
इस योजना का लाभ उन व्यक्तियों और संस्थाओं को मिलेगा जो उत्तर प्रदेश में नर्सरी स्थापित करना चाहते हैं। इसमें छोटे और बड़े दोनों प्रकार के उद्यमी शामिल हो सकते हैं।
लाभ और सब्सिडी
इस योजना के तहत हाइटेक नर्सरी स्थापित करने पर अधिकतम 1 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी दी जाती है। यह सब्सिडी नर्सरी की लागत के एक हिस्से को कवर करती है, जिससे किसानों और उद्यमियों के लिए निवेश करना आसान हो जाता है।
आवेदन की प्रक्रिया
- लाभार्थी को उत्तर प्रदेश सरकार के संबंधित विभाग में ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करना होगा।
- आवेदन में नर्सरी की योजना, निवेश की राशि और स्थान का विवरण देना आवश्यक है।
- आवेदन स्वीकृत होने के बाद, सब्सिडी सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में दी जाती है।
योजना के प्रमुख लाभ
- उच्च गुणवत्ता वाले पौधे और कृषि उत्पाद उपलब्ध होते हैं।
- किसानों और उद्यमियों की आय में वृद्धि होती है।
- कृषि और उद्यमिता को बढ़ावा मिलता है।
- राज्य में कृषि व्यवसाय का स्तर उन्नत होता है।
8. सब्जी व मसाला बीज उत्पादन पर सब्सिडी
योजना का उद्देश्य
उत्तर प्रदेश सरकार की यह योजना किसानों को सब्जी और मसाला बीज उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बनाई गई है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना, कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाना और किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराना है।
लाभार्थी
इस योजना का लाभ केवल उत्तर प्रदेश के पंजीकृत किसान उठा सकते हैं। जिन किसानों के पास अपना कृषि भूमि है और जो सब्जी या मसाला बीज उत्पादन करना चाहते हैं, वे इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।
योजना के तहत मिलने वाली सुविधा
- किसानों को बीज उत्पादन के लिए आवश्यक लागत का एक हिस्सा सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में दिया जाता है।
- सब्सिडी की दर और राशि बीज के प्रकार और उत्पादन क्षमता के आधार पर तय की जाती है।
- योजना में शामिल बीजों में सब्जी बीज जैसे टमाटर, भिंडी, गाजर और मसाला बीज जैसे धनिया, जीरा आदि शामिल हैं।
आवेदन प्रक्रिया
- किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
- आवेदन करते समय किसानों को अपने खेत की जानकारी, बीज उत्पादन की योजना और पहचान प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होता है।
- आवेदन की समीक्षा के बाद योग्य किसानों को सब्सिडी प्रदान की जाती है।
योजना के लाभ
- किसानों की उत्पादन लागत कम होती है।
- उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के इस्तेमाल से फसल की पैदावार बढ़ती है।
- किसानों की आय में सुधार होता है और कृषि क्षेत्र में तकनीकी विकास होता है।
निष्कर्ष
सब्जी व मसाला बीज उत्पादन पर सब्सिडी योजना किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। इससे वे अपने कृषि व्यवसाय को बढ़ा सकते हैं और उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र को और अधिक सशक्त बना सकते हैं।
9. नवीन बगीचा स्थापना पर अनुदान
योजना का उद्देश्य
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसान और उद्यान उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए “नवीन बगीचा स्थापना पर अनुदान” योजना लागू की गई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य नए बागानों की स्थापना को प्रोत्साहित करना और कृषि उत्पादन में सुधार लाना है।
योजना के लाभार्थी
इस योजना के तहत लाभार्थी केवल उत्तर प्रदेश के किसान होंगे। लाभ लेने के लिए किसानों के पास अपनी भूमि होना आवश्यक है और उन्हें राज्य सरकार द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा।
योजना के लाभ
- नए बागानों की स्थापना पर वित्तीय सहायता
- पौधरोपण, सिंचाई और बागान की देखभाल के लिए अनुदान
- कृषि उत्पादन बढ़ाने और आय में सुधार
अनुदान राशि
सरकार प्रत्येक हेक्टेयर बगीचे पर निश्चित प्रतिशत तक अनुदान देती है। अनुदान राशि बगीचे के प्रकार और फसल के अनुसार भिन्न हो सकती है।
आवेदन की प्रक्रिया
- लाभार्थी को स्थानीय कृषि विभाग में आवेदन जमा करना होगा
- भूमि और पहचान से संबंधित दस्तावेजों की आवश्यकता होगी
- आवेदन के बाद निरीक्षण और मूल्यांकन किया जाएगा
- अनुमोदन के बाद ही अनुदान राशि जारी की जाएगी
आवश्यक दस्तावेज
- जमीन का स्वामित्व प्रमाण
- पहचान प्रमाण (आधार कार्ड, वोटर आईडी)
- बैंक खाता विवरण
- आवेदन पत्र
योजना का महत्व
यह योजना किसानों को नई बागवानी तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है। इससे न केवल किसानों की आय बढ़ती है बल्कि राज्य में कृषि और उद्यान उत्पादन में भी सुधार होता है।
10. गुलाब गेंदा जरबेरा गुलदाऊदी चमेली रजनीगंधा फूलों की खेती पर अनुदान
योजना का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को फूलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करना और उनके आय के स्रोत को बढ़ाना है। इसके माध्यम से किसान उच्च मूल्य वाले फूलों की खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।
पात्रता
- योजना उत्तर प्रदेश के स्थायी निवासी किसानों के लिए है।
- आवेदनकर्ता के पास खेती योग्य जमीन होनी चाहिए।
- पहले से इस योजना का लाभ लेने वाले किसान दोबारा आवेदन कर सकते हैं।
अनुदान की राशि
- इस योजना के तहत फूलों की खेती के लिए लगाए गए पौधों, बीजों, खाद और उपकरणों पर आर्थिक सहायता दी जाती है।
- अनुदान की राशि परियोजना की लागत के अनुसार तय की जाती है।
- अधिकतम सीमा तक लागत का 50% तक अनुदान प्राप्त किया जा सकता है।
लाभ
- किसान कम लागत में फूलों की खेती शुरू कर सकते हैं।
- फूलों की बाजार में मांग अधिक होने के कारण किसानों की आय बढ़ती है।
- कृषि क्षेत्र में नए रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं।
आवेदन प्रक्रिया
- किसान नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय या सरकारी वेबसाइट के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
- आवेदन के साथ जमीन के दस्तावेज, पहचान पत्र और खेती योजना संलग्न करनी होगी।
- आवेदन स्वीकृत होने पर कृषि विभाग द्वारा निरीक्षण के बाद अनुदान जारी किया जाता है।
योजना की विशेषताएँ
- गुलाब, गेंदा, जरबेरा, गुलदाऊदी, चमेली और रजनीगंधा जैसी लोकप्रिय फूलों की खेती पर केंद्रित।
- किसानों को तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।
- योजना किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और उत्तर प्रदेश में फूलों की खेती को बढ़ावा देने में मदद करती है।
11. मसाला खेती पर अनुदान
योजना का उद्देश्य
मसाला खेती पर अनुदान योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के किसानों को मसालों की खेती के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। यह योजना किसानों की आय बढ़ाने और मसाला उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही है।
लाभार्थी कौन हो सकते हैं
यह योजना मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के स्थायी निवासी किसानों के लिए है। छोटे और सीमांत किसान भी इस योजना के अंतर्गत लाभ उठा सकते हैं।
योजना के तहत मिलने वाला अनुदान
किसानों को मसाला खेती के लिए बीज, उर्वरक, कृषि उपकरण और तकनीकी प्रशिक्षण पर अनुदान प्रदान किया जाता है। यह अनुदान लागत का एक हिस्सा पूरा करता है ताकि किसान आसानी से खेती कर सकें।
आवेदन प्रक्रिया
- किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं।
- आवेदन पत्र में व्यक्तिगत विवरण, जमीन का प्रमाण और बैंक खाता विवरण शामिल करना आवश्यक है।
- आवेदन के बाद कृषि अधिकारियों द्वारा भूमि और योग्यता का सत्यापन किया जाता है।
योजना के लाभ
- किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं।
- मसाला उत्पादन बढ़ने से राज्य का आर्थिक विकास भी होगा।
- किसानों को तकनीकी और प्रशिक्षण सहायता प्राप्त होगी।
महत्वपूर्ण बातें
- योजना केवल उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए है।
- अनुदान सीधे किसान के बैंक खाते में भेजा जाता है।
- योजना का लाभ उठाने के लिए समय पर आवेदन करना आवश्यक है।
12. सब्जी उत्पादन पर सब्सिडी अनुदान
योजना का उद्देश्य
उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने और प्रदेश में सब्जी उत्पादन बढ़ाने के लिए “सब्जी उत्पादन पर सब्सिडी अनुदान” योजना शुरू की है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और उन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करना है।
लाभार्थी
यह योजना विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के सभी पंजीकृत किसानों के लिए है। छोटे और सीमांत किसान, जो सब्जी उत्पादन में लगे हैं या इसे शुरू करना चाहते हैं, इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
अनुदान की राशि
किसानों को सब्जी उत्पादन के लिए आवश्यक उपकरण, बीज, उर्वरक और सिंचाई संबंधी सुविधाओं पर सरकार की ओर से निर्धारित प्रतिशत के अनुसार सब्सिडी दी जाती है।
पात्रता मानदंड
- आवेदनकर्ता उत्तर प्रदेश का निवासी होना चाहिए।
- किसान का आधार और खेत का पंजीकरण आवश्यक है।
- केवल पंजीकृत और मान्यता प्राप्त सब्जी उत्पादन क्षेत्र ही इस योजना के तहत सब्सिडी के लिए पात्र हैं।
आवेदन प्रक्रिया
- किसान को नजदीकी कृषि विभाग या जिला कृषि कार्यालय में जाकर आवेदन करना होगा।
- आवश्यक दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, जमीन के दस्तावेज और बैंक खाता विवरण जमा करना होगा।
- आवेदन स्वीकृति के बाद किसान को सब्सिडी सीधे उनके बैंक खाते में प्रदान की जाएगी।
योजना के लाभ
- किसानों की उत्पादन लागत कम होती है।
- उच्च गुणवत्ता वाले बीज और उर्वरक प्राप्त होते हैं।
- सब्जी उत्पादन में नई तकनीकों का प्रयोग आसान हो जाता है।
- किसानों की आय में वृद्धि होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
संपर्क और जानकारी
किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय या उत्तर प्रदेश सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर योजना की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
13. पुराने बगीचों का जीर्णोद्धार व केनोपी सुधार
योजना का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश के पुराने बगीचों और सार्वजनिक हरित क्षेत्रों का पुनर्निर्माण करना है। इसके तहत बगीचों की नवीनीकरण और उनके केनोपी सुधार के माध्यम से पर्यावरणीय सुधार, सुंदरता और लोगों के लिए आरामदायक वातावरण उपलब्ध कराना शामिल है।
योजना के लाभ
- हरित आवरण बढ़ाना: पुराने बगीचों और वृक्षों की देखभाल करके हरे आवरण को बढ़ाया जाएगा।
- पर्यावरण सुधार: योजना के तहत प्रदूषण कम होगा और स्थानीय पर्यावरण संतुलन बेहतर होगा।
- सामाजिक लाभ: बगीचों में सुधार से लोगों के लिए स्वास्थ्य और मनोरंजन के अवसर बढ़ेंगे।
- केनोपी सुधार: वृक्षों की छत्रछाया को बढ़ाकर शहरी गर्मी को कम करना और वर्षा के पानी को संचित करना।
योजना के अंतर्गत कार्य
- पुराने बगीचों की सफाई और मरम्मत।
- पौधरोपण और मौजूदा वृक्षों की छंटाई।
- पथ, बेंच और प्रकाश व्यवस्था का सुधार।
- कीट और रोग प्रबंधन।
- जल संरक्षण और सिंचाई सुविधाओं का विकास।
योजना के पात्र
- राज्य सरकार द्वारा चिन्हित सार्वजनिक बगीचे।
- नगर निगम, पंचायत और विकास प्राधिकरण के अधीन क्षेत्र।
- स्थानीय समाज और एनजीओ भी योजना में भाग ले सकते हैं।
आवेदन प्रक्रिया
- संबंधित नगर निगम या पंचायत कार्यालय से योजना के लिए आवेदन करना।
- आवश्यक दस्तावेज जैसे भूमि स्वामित्व प्रमाण, परियोजना प्रस्ताव आदि जमा करना।
- योजना के मानदंडों के अनुसार निरीक्षण और स्वीकृति प्राप्त करना।
वित्तीय सहायता
- योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार की ओर से धनराशि उपलब्ध कराई जाती है।
- आवश्यकतानुसार स्थानीय निकाय या सरकारी विभागों से अतिरिक्त संसाधन प्राप्त किए जा सकते हैं।
योजना का महत्व
- शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में हरित वातावरण का संवर्धन।
- सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा।
- पर्यावरण संरक्षण और जलवायु अनुकूलन में योगदान।
14. मधुमक्खी पालन पर सब्सिडी
योजना का उद्देश्य
उत्तर प्रदेश सरकार की यह योजना किसानों और उद्यमियों को मधुमक्खी पालन (Beekeeping) को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य रोजगार सृजन करना, कृषि उत्पादकता बढ़ाना और प्राकृतिक परागण (Pollination) को प्रोत्साहित करना है।
पात्रता
- योजना का लाभ केवल उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी किसान और उद्यमी ले सकते हैं।
- लाभार्थी का आयु सीमा 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
- व्यक्ति के पास स्वयं का कृषि या उद्यमी प्रमाण पत्र होना आवश्यक है।
लाभ
- योजना के तहत मधुमक्खी पालन के लिए उपकरणों और सहायक सामग्रियों पर 50% तक की सब्सिडी दी जाती है।
- इसमें मधुमक्खी की colonies, धूपन, छत्ते, Protective Gear, Honey Extractor आदि शामिल हैं।
- इस योजना से छोटे और सीमांत किसान भी मधुमक्खी पालन कर आर्थिक लाभ कमा सकते हैं।
आवेदन प्रक्रिया
- लाभार्थी संबंधित जिला कृषि कार्यालय या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
- आवेदन पत्र में व्यक्तिगत विवरण, भूमि प्रमाण पत्र और पहचान पत्र की जानकारी देनी होगी।
- आवेदन स्वीकार होने पर जिला कार्यालय द्वारा निरीक्षण किया जाता है और सब्सिडी का भुगतान किया जाता है।
आवश्यक दस्तावेज
- पहचान पत्र (Aadhaar Card / Voter ID)
- पासपोर्ट साइज फोटो
- भूमि प्रमाण पत्र (यदि किसान है)
- बैंक खाता विवरण
- आवेदन पत्र
योजना की अवधि
यह योजना नियमित रूप से सालाना आधार पर लागू रहती है। सब्सिडी के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि जिलेवार अलग हो सकती है।
संपर्क जानकारी
लाभार्थी अपने नजदीकी जिला कृषि कार्यालय से योजना के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
15. ट्रैक्टर पर अनुदान
योजना का उद्देश्य
उत्तर प्रदेश सरकार की यह योजना किसानों को आधुनिक कृषि उपकरणों की सुविधा प्रदान करने के लिए शुरू की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों की उत्पादन क्षमता बढ़ाना और उनकी कृषि लागत कम करना है।
लाभार्थी कौन हो सकते हैं
- उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी किसान
- जिन्होंने अपनी कृषि भूमि का पंजीकरण कराया हो
- जिनकी आयु 18 वर्ष से अधिक हो
अनुदान की राशि
इस योजना के तहत किसानों को ट्रैक्टर खरीदने पर कुल लागत का एक निश्चित प्रतिशत सरकार द्वारा अनुदान के रूप में दिया जाता है। आमतौर पर यह 25% से 50% तक हो सकता है, किसान की पात्रता और योजना के अनुसार।
आवेदन प्रक्रिया
- किसान को अपनी नज़दीकी कृषि विभाग की कार्यालय में जाकर आवेदन पत्र भरना होता है।
- आवेदन के साथ आवश्यक दस्तावेज जैसे भूमि पंजीकरण प्रमाणपत्र, आयु प्रमाण पत्र, और पहचान पत्र जमा करना अनिवार्य है।
- आवेदन के बाद विभाग द्वारा पात्रता जाँची जाती है और अनुदान स्वीकृत होने पर भुगतान किया जाता है।
आवश्यक दस्तावेज
- भूमि स्वामित्व या पट्टे का प्रमाण पत्र
- आधार कार्ड या पहचान पत्र
- बैंक खाता विवरण
- आवेदन फॉर्म
योजना के लाभ
- किसानों को ट्रैक्टर खरीदने में वित्तीय सहायता मिलती है।
- कृषि कार्य में समय और मेहनत की बचत होती है।
- उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है और कृषि में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ता है।
संपर्क जानकारी
किसान अधिक जानकारी के लिए अपने नज़दीकी कृषि विभाग कार्यालय या उत्तर प्रदेश सरकार की कृषि योजना वेबसाइट पर संपर्क कर सकते हैं।
16. फलपट्टी विकास योजना यूपी
योजना का उद्देश्य
फलपट्टी विकास योजना का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश के किसानों को फल उत्पादन के क्षेत्र में प्रोत्साहित करना और उनकी आय में वृद्धि करना है। इसके तहत किसानों को फलवर्गीय पौधों के रोपण, बागवानी तकनीक और आधुनिक खेती के तरीके सिखाए जाते हैं।
लाभार्थी
इस योजना का लाभ उन सभी किसानों को मिलता है जो उत्तर प्रदेश में फल उत्पादन करना चाहते हैं। विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसान, जो अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं, वे इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
योजना के तहत मिलने वाले लाभ
- फलवर्गीय पौधों के लिए सब्सिडी (आंशिक वित्तीय सहायता) प्रदान की जाती है।
- किसानों को आधुनिक बागवानी तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाता है।
- बीज और पौधों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रमाणित केंद्रों से सामग्री उपलब्ध कराई जाती है।
- उत्पादन बढ़ाने के लिए कीट और रोग प्रबंधन की जानकारी दी जाती है।
योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया
- किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय में जाकर आवेदन फॉर्म प्राप्त कर सकते हैं।
- आवेदन फॉर्म भरकर आवश्यक दस्तावेज जैसे भूमि का प्रमाणपत्र और पहचान पत्र जमा करना होगा।
- आवेदन स्वीकार होने के बाद, किसान को पौधे और प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में सूचना दी जाती है।
योजना का महत्व
फलपट्टी विकास योजना उत्तर प्रदेश के कृषि क्षेत्र में आय बढ़ाने, रोजगार सृजन और फल उत्पादन में आत्मनिर्भरता लाने में मदद करती है। यह किसानों के लिए दीर्घकालिक आर्थिक सुरक्षा और आधुनिक कृषि पद्धति अपनाने का अवसर भी प्रदान करती है।
17. राष्ट्रीय आयुष मिशन
उद्देश्य
राष्ट्रीय आयुष मिशन का मुख्य उद्देश्य भारत में आयुष (आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) चिकित्सा प्रणाली को सुदृढ़ करना और स्वास्थ्य सेवाओं में उनकी पहुँच बढ़ाना है। यह योजना विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में आयुष चिकित्सा सुविधाओं को सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करती है।
लाभार्थी
- राज्य के सभी नागरिक, विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के लोग।
- आयुष चिकित्सा में शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छात्र और चिकित्सक।
प्रमुख घटक
- आयुष चिकित्सा केंद्रों और अस्पतालों का विकास।
- आयुष शिक्षा संस्थानों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का सुदृढ़ीकरण।
- आयुष दवाओं के उत्पादन और वितरण में सुधार।
- आयुष चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता और अनुसंधान को बढ़ावा देना।
लाभ
- ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर उपलब्धता।
- आयुष चिकित्सा के माध्यम से रोगों का प्राकृतिक और सुरक्षित उपचार।
- आयुष चिकित्सकों के लिए रोजगार और प्रशिक्षण के अवसर।
- आयुष अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा।
आवेदन प्रक्रिया
लाभार्थी अपने नजदीकी आयुष केंद्र या राज्य स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से इस योजना का लाभ ले सकते हैं। आवश्यक दस्तावेजों में पहचान प्रमाण और निवास प्रमाण शामिल हैं।
18. ड्रिप स्प्रिंकलर फवारा ग्रीन हाउस पर अनुदान
योजना का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को आधुनिक और पानी की बचत करने वाली सिंचाई तकनीक प्रदान करना है। इसके माध्यम से किसान कम पानी में अधिक फसल उपज प्राप्त कर सकते हैं और उत्पादन लागत को भी कम कर सकते हैं।
लाभार्थी
यह योजना मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के छोटे और सीमांत किसानों के लिए है। जिनके पास अपनी जमीन है और जो ग्रीन हाउस, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक को अपनाना चाहते हैं, वे इसका लाभ उठा सकते हैं।
अनुदान की राशि
सरकार इस योजना के तहत सिंचाई उपकरणों जैसे ड्रिप इरिगेशन, स्प्रिंकलर सिस्टम और ग्रीन हाउस पर निर्धारित प्रतिशत में अनुदान देती है। यह प्रतिशत जमीन के क्षेत्रफल और उपकरण की लागत के आधार पर तय किया जाता है।
आवेदन प्रक्रिया
किसान अपनी नजदीकी कृषि कार्यालय या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के दौरान जमीन के कागजात, पहचान पत्र और योजना के तहत खरीदी जाने वाली मशीनरी का विवरण देना आवश्यक है।
अपेक्षित लाभ
- पानी की बचत और सिंचाई की दक्षता बढ़ाना
- फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि
- उत्पादन लागत में कमी
- आधुनिक कृषि तकनीक को अपनाने के लिए प्रोत्साहन
19. मशरूम इकाई पर सब्सिडी
योजना का उद्देश्य
उत्तर प्रदेश सरकार की यह योजना किसानों और उद्यमियों को मशरूम उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इस योजना के तहत, किसानों को मशरूम फार्म स्थापित करने के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है, ताकि उन्हें कम लागत में व्यवसाय शुरू करने का अवसर मिले और उन्हें स्थायी आय का साधन मिले।
पात्रता
- योजना का लाभ केवल उत्तर प्रदेश राज्य के स्थायी निवासी ही उठा सकते हैं।
- व्यक्ति के पास कृषि या कृषि आधारित व्यवसाय में अनुभव या योग्यता होना आवश्यक है।
- लाभार्थी को अपने नाम पर जमीन या फार्म स्थापित करने की अनुमति होनी चाहिए।
सब्सिडी का विवरण
- योजना के तहत मशरूम इकाई स्थापित करने में कुल लागत का एक निश्चित प्रतिशत सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में दिया जाता है।
- सब्सिडी आमतौर पर 25% से 50% तक होती है, जो इकाई की क्षमता और प्रकार पर निर्भर करती है।
- छोटे और सीमांत किसान अधिक लाभ के पात्र होते हैं।
आवेदन प्रक्रिया
- लाभार्थी को अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय या जिला कृषि कार्यालय में आवेदन जमा करना होगा।
- आवेदन के साथ जमीन का प्रमाण, पहचान पत्र और व्यवसाय योजना प्रस्तुत करनी होती है।
- योग्य उम्मीदवारों का चयन विभाग द्वारा निरीक्षण और मूल्यांकन के बाद किया जाता है।
लाभ
- कम लागत में मशरूम फार्म स्थापित करने का अवसर।
- स्थायी आय का साधन और रोजगार सृजन।
- कृषि आधारित व्यवसाय में आत्मनिर्भर बनने में मदद।
20. वर्मीकम्पोस्ट पर सब्सिडी
योजना का उद्देश्य
उत्तर प्रदेश सरकार की यह योजना किसानों को वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई है। वर्मीकम्पोस्ट प्राकृतिक खाद है जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में मदद करती है और रासायनिक खादों की आवश्यकता कम करती है।
पात्रता
- उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी होना आवश्यक है।
- केवल खेती करने वाले किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
- वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन इकाई स्थापित करने वाले व्यक्ति।
लाभ
- सरकार वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन के लिए खर्च का कुछ हिस्सा सब्सिडी के रूप में देती है।
- किसानों को पर्यावरण अनुकूल और जैविक खेती की दिशा में सहायता मिलती है।
- उत्पादन लागत कम होती है और अधिक लाभ की संभावना बढ़ती है।
सब्सिडी की राशि
- योजना के तहत कुल निवेश का लगभग 50% तक की राशि सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में दी जा सकती है।
- अधिकतम सीमा और विस्तृत राशि सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार तय होती है।
आवेदन प्रक्रिया
- किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं।
- आवेदन पत्र के साथ पहचान प्रमाण, भूमि प्रमाण और वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन योजना का विवरण जमा करना होता है।
- चयनित आवेदकों को आवश्यक सहायता और सब्सिडी प्रदान की जाती है।
योजना का महत्व
- यह योजना जैविक खेती को बढ़ावा देती है।
- मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार और फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद करती है।
- रासायनिक खादों पर निर्भरता कम करके किसानों की लागत घटाती है।
21. प्लांट हेल्थ केयर सेंटर
उद्देश्य
प्लांट हेल्थ केयर सेंटर की स्थापना किसानों को पौधों और फसलों से संबंधित समस्याओं का समाधान देने के लिए की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य फसल की पैदावार बढ़ाना, रोग और कीट प्रबंधन में मदद करना और किसानों को बेहतर कृषि तकनीकों से अवगत कराना है।
लाभ
- किसानों को फसल रोग और कीट के बारे में सही जानकारी मिलती है।
- फसलों के लिए सही दवा और उर्वरक के उपयोग की सलाह दी जाती है।
- कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है और फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है।
- किसानों को पौध संरक्षण और आधुनिक कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण मिलता है।
पात्रता
- यह योजना उत्तर प्रदेश के सभी छोटे, मध्यम और बड़े किसान लाभार्थियों के लिए उपलब्ध है।
- जो किसान अपनी फसल के लिए स्वास्थ्य जांच और मार्गदर्शन चाहते हैं, वे इसका लाभ ले सकते हैं।
आवेदन प्रक्रिया
- किसान अपने नजदीकी प्लांट हेल्थ केयर सेंटर में जाकर पंजीकरण कर सकते हैं।
- केंद्र पर जाकर फसल का परीक्षण कराया जा सकता है और विशेषज्ञों से परामर्श लिया जा सकता है।
- योजना के तहत मार्गदर्शन और उपचार के लिए किसी भी सरकारी शुल्क की आवश्यकता नहीं होती है।
समापन
प्लांट हेल्थ केयर सेंटर किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, जो उन्हें रोग मुक्त फसल और बेहतर उत्पादन प्राप्त करने में मदद करता है। इसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और कृषि को सुरक्षित और आधुनिक बनाना है।
22. टिशू कल्चर लेब
परिचय
टिशू कल्चर लेब एक ऐसी पहल है जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने कृषि क्षेत्र में किसानों को उन्नत तकनीक से जोड़ने के लिए शुरू किया है। इस लेब का मुख्य उद्देश्य पौधों की गुणवत्ता बढ़ाना और रोग मुक्त पौधों का उत्पादन करना है।
उद्देश्य
- किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले पौधे उपलब्ध कराना।
- पौधों में रोग और कीटों से सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- पौधों की जल्दी वृद्धि और बेहतर उपज सुनिश्चित करना।
- जैविक और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना।
लाभ
- किसानों को बेहतर उत्पादन और अधिक आय प्राप्त होती है।
- पौधों के रोग मुक्त होने के कारण खेती में नुकसान कम होता है।
- कृषि उत्पादन में स्थिरता आती है।
- छोटे और मध्यम किसानों के लिए लागत कम होती है।
प्रक्रिया
- चयनित पौधों को लैब में लाया जाता है।
- पौधों की कोशिकाओं से नई पौध सामग्री तैयार की जाती है।
- इन पौधों को नियंत्रित वातावरण में विकसित किया जाता है।
- तैयार पौधे किसानों को वितरित किए जाते हैं।
आवेदन
किसान अपने नजदीकी कृषि केंद्र या राज्य सरकार के पोर्टल के माध्यम से टिशू कल्चर पौधों के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया सरल और मुफ्त है।
23. कृषि यंत्रों व डीजल पंप सेट पर अनुदान
योजना का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों और डीजल पंप सेटों की खरीद में आर्थिक सहायता प्रदान करना है। इससे कृषि उत्पादन बढ़ाने और समय व श्रम की बचत करने में मदद मिलती है।
योजना का लाभ
किसान इस योजना के तहत अपने खेत के लिए ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, सेड ड्रिल, पम्प सेट, स्प्रेयर आदि यंत्र खरीदने पर सरकार से अनुदान प्राप्त कर सकते हैं।
पात्रता
- केवल उत्तर प्रदेश के स्थायी निवासी किसान लाभार्थी हो सकते हैं।
- किसान के पास भूमि की स्वामित्व प्रमाणपत्र होना अनिवार्य है।
- योजना मुख्य रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए है।
अनुदान की राशि
सरकार खरीद मूल्य का एक निश्चित प्रतिशत (सामान्यतः 25% से 50% तक) अनुदान के रूप में देती है। यह राशि यंत्र के प्रकार और क्षमता पर निर्भर करती है।
आवेदन प्रक्रिया
- किसान नजदीकी कृषि कार्यालय या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
- आवेदन के साथ भूमि स्वामित्व प्रमाण, आधार कार्ड, और यंत्र की खरीद का अनुमानित बिल जमा करना अनिवार्य है।
योजना का लाभ उठाने के तरीके
- आवेदन जमा करने के बाद सत्यापन प्रक्रिया पूरी की जाती है।
- मान्यता प्राप्त दुकानों से यंत्र खरीदने पर अनुदान सीधे बैंक खाते में हस्तांतरित किया जाता है।
- किसान अपनी खरीदी हुई यंत्रों के दस्तावेजों के साथ अनुदान प्राप्त कर सकते हैं।
24. तारबंदी योजना
योजना का उद्देश्य
तारबंदी योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों की फसल और खेतों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस योजना के तहत किसानों को अपने खेतों में जंगली जानवरों और अन्य नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों से फसल की सुरक्षा के लिए तारबंदी (फेंसिंग) करने में सहायता प्रदान की जाती है।
लाभार्थी
इस योजना का लाभ विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसान प्राप्त कर सकते हैं, जिनके पास अपने खेतों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं।
योजना की विशेषताएं
- किसानों के खेतों में तारबंदी की लागत का एक हिस्सा सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है।
- तारबंदी के निर्माण के लिए उचित गुणवत्ता के तार और उपकरण प्रदान किए जाते हैं।
- योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को सरल आवेदन प्रक्रिया और समय पर सहायता दी जाती है।
आवेदन की प्रक्रिया
- किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं।
- आवेदन में खेत का विवरण, क्षेत्रफल और फसल की जानकारी देना आवश्यक है।
- आवेदन के सत्यापन के बाद लाभार्थी को योजना के तहत सहायता दी जाती है।
लाभ
- फसल की सुरक्षा और नुकसान में कमी।
- छोटे और सीमांत किसानों के लिए आर्थिक मदद।
- खेती के उत्पादन में वृद्धि और आत्मनिर्भरता।