प्रधानमंत्री किसान योजना (Pradhan Mantri Kisan Yojana)

Pradhan Mantri Kisan Yojana

प्रधानमंत्री किसान योजना: किसानों के लिए केंद्र सरकार की सभी योजनाएँ

भारत सदियों से कृषि प्रधान देश रहा है। यहाँ लगभग 55% से अधिक जनसंख्या खेती पर निर्भर है। लेकिन किसानों की आय अक्सर मौसम, प्राकृतिक आपदा, बाजार की अनिश्चितता और बढ़ती लागत की वजह से प्रभावित होती रही है। इन्हीं चुनौतियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने कई योजनाएँ लागू की हैं, जिनका उद्देश्य है:

  • किसान की आय बढ़ाना
  • खेती में आधुनिक तकनीक लाना
  • प्राकृतिक आपदा से सुरक्षा देना
  • भंडारण और विपणन की सुविधा उपलब्ध कराना
  • टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल खेती को बढ़ावा देना

अब आइए एक-एक करके सभी योजनाओं को विस्तार से समझते हैं।

1. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)

परिचय:
यह योजना दिसंबर 2018 में शुरू की गई थी। इसके तहत छोटे और सीमांत किसानों को सीधी वित्तीय सहायता दी जाती है।

लाभ:

  • किसानों को सालाना ₹6,000 की मदद सीधे बैंक खाते में DBT के ज़रिए मिलती है।
  • यह राशि तीन किस्तों में (₹2,000 हर चार महीने) दी जाती है।
  • किसानों को खाद, बीज और अन्य कृषि सामग्री खरीदने में राहत मिलती है।

पात्रता:

  • सभी छोटे और सीमांत किसान परिवार (2 हेक्टेयर तक भूमि वाले)।
  • अब यह योजना सभी किसान परिवारों के लिए लागू है, चाहे जमीन कितनी भी हो।
  • सरकारी कर्मचारी, आयकरदाता, डॉक्टर, इंजीनियर, वकील आदि को लाभ नहीं मिलता।

आवेदन प्रक्रिया:

  1. किसान अपने गाँव के कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) या कृषि विभाग के कार्यालय में जाकर आवेदन कर सकते हैं।
  2. आधार कार्ड, जमीन का कागज और बैंक पासबुक ज़रूरी है।
  3. आवेदन की स्थिति आप pmkisan.gov.in पर चेक कर सकते हैं।

2. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)

परिचय:
2016 में शुरू की गई यह योजना किसानों को फसल खराब होने पर सुरक्षा देती है।

लाभ:

  • खरीफ फसलों के लिए प्रीमियम केवल 2% और रबी फसलों के लिए 1.5%।
  • व्यावसायिक/नकदी फसलों के लिए 5%।
  • प्राकृतिक आपदा, बाढ़, सूखा, कीट और रोग से फसल खराब होने पर मुआवजा मिलता है।

पात्रता:

  • सभी किसान जो खुद खेती करते हैं।
  • पट्टेदार किसान भी पात्र हैं।
  • जिन किसानों ने बैंक से ऋण लिया है उनके लिए बीमा अनिवार्य है।

आवेदन प्रक्रिया:

  1. बैंक या CSC के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
  2. आवश्यक दस्तावेज – आधार कार्ड, भूमि विवरण, फसल विवरण, बैंक पासबुक।
  3. अधिक जानकारी pmfby.gov.in पर उपलब्ध है।

3. किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) और ब्याज सबवेंशन योजना (ISS/MISS)

लाभ:

  • किसान को 3 लाख तक का लोन कम ब्याज पर मिलता है।
  • समय पर भुगतान करने पर ब्याज में 2-3% की छूट।
  • अब यह मछली पालन और पशुपालन पर भी लागू।

पात्रता:

  • सभी किसान, मछली पालक, डेयरी वाले।

आवेदन प्रक्रिया:

  1. नज़दीकी बैंक शाखा में फॉर्म भरना।
  2. आधार कार्ड, जमीन का कागज, पासबुक ज़रूरी।
  3. डिजिटल रूप में आवेदन pmkisan.gov.in पर भी संभव।

4. कृषि अवसंरचना कोष (AIF)

लाभ:

  • किसानों को कोल्ड स्टोरेज, गोदाम, पैकेजिंग यूनिट, मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पर सस्ता लोन।
  • 3% ब्याज सब्सिडी और गारंटी की सुविधा।

पात्रता:

  • किसान, FPO, सहकारी समितियाँ और स्टार्टअप।

आवेदन प्रक्रिया:

  • बैंक या NBFC में आवेदन कर सकते हैं।
  • कृषि विभाग से प्रोजेक्ट अप्रूवल ज़रूरी।

5. 10,000 किसान उत्पादक संगठन (FPOs)

भारत सरकार ने किसानों को संगठित करने और उनकी आय दोगुनी करने के उद्देश्य से 10,000 किसान उत्पादक संगठन (FPOs) बनाने की योजना शुरू की है। FPO एक ऐसा समूह होता है जहाँ छोटे और सीमांत किसान मिलकर एक संगठन या कंपनी के रूप में काम करते हैं। जब किसान अकेले अपनी फसल बेचते हैं तो उन्हें सही दाम नहीं मिल पाता, लेकिन FPO के माध्यम से वे सामूहिक रूप से बीज, खाद, कीटनाशक सस्ते दाम पर खरीद सकते हैं और अपनी उपज बड़ी कंपनियों या मंडियों को सीधे बेच सकते हैं।

लाभ:

  • किसानों को फसल का बेहतर मूल्य मिलता है।
  • बिचौलियों की भूमिका कम हो जाती है।
  • खेती की लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है।
  • सरकार FPO बनाने के लिए ₹15 लाख तक की आर्थिक सहायता देती है।

पात्रता:

  • कम से कम 11 किसान मिलकर FPO बना सकते हैं।
  • किसान सहकारी समितियाँ और SHGs भी FPO बना सकती हैं।

आवेदन प्रक्रिया:

  • किसान NABARD, SFAC या कृषि विभाग के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
  • संगठन को रजिस्टर कराना आवश्यक है।

👉 इस योजना का मकसद है किसानों को “उत्पादक से उद्यमी” बनाना और उन्हें बड़े बाजार से सीधे जोड़ना।

6. मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme)

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना 2015 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी भूमि की मिट्टी की वास्तविक स्थिति की जानकारी देना है। अक्सर किसान बिना मिट्टी की जांच किए ज्यादा या कम उर्वरक का प्रयोग कर लेते हैं, जिससे उत्पादन पर असर पड़ता है और लागत भी बढ़ जाती है। इस समस्या को दूर करने के लिए यह योजना बेहद उपयोगी है।

लाभ:

  • किसानों को मिट्टी की पोषण स्थिति (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, माइक्रो न्यूट्रिएंट्स आदि) की सही जानकारी मिलती है।
  • किसान यह जान पाते हैं कि कौन-सी खाद कितनी मात्रा में डालनी है।
  • इससे खाद और उर्वरक की बचत होती है और उत्पादन बढ़ता है।
  • मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है।

पात्रता:

  • यह योजना सभी किसानों के लिए है।

आवेदन प्रक्रिया:

  • किसान अपने गाँव के कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या नज़दीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) में जाकर आवेदन कर सकते हैं।
  • मिट्टी का नमूना लिया जाता है और जांच के बाद किसान को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किया जाता है।

👉 इस योजना से किसान वैज्ञानिक तरीके से खेती कर सकते हैं और कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

7. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) की शुरुआत वर्ष 2015 में “हर खेत को पानी” और “पानी की बूँद-बूँद का सही उपयोग” के उद्देश्य से की गई थी। भारत में खेती का बड़ा हिस्सा अब भी वर्षा पर निर्भर है, जिसकी वजह से किसान अक्सर सिंचाई की कमी से नुकसान उठाते हैं। इस योजना के माध्यम से किसानों को सिंचाई की आधुनिक और टिकाऊ तकनीकों से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

मुख्य उद्देश्य:

  • हर खेत तक पानी पहुँचाना।
  • जल का कुशल उपयोग करके उत्पादन बढ़ाना।
  • सूक्ष्म सिंचाई जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम को बढ़ावा देना।
  • छोटे तालाब, नहर, कुएँ और चेक डैम का निर्माण कर भूजल स्तर सुधारना।

लाभ:

  • ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम पर 55% से 60% तक सब्सिडी मिलती है।
  • सिंचाई में पानी की बचत होती है और उत्पादन की लागत घटती है।
  • किसान एक ही खेत में अधिक फसल उगा पाते हैं।
  • सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी खेती आसान हो जाती है।

आवेदन प्रक्रिया:
किसान अपने जिले के कृषि विभाग, नजदीकी CSC केंद्र या राज्य की आधिकारिक कृषि वेबसाइट पर आवेदन कर सकते हैं। ज़मीन का दस्तावेज़, आधार कार्ड और बैंक पासबुक आवश्यक है।

👉 यह योजना किसानों को “कम पानी में अधिक उपज” का रास्ता दिखाती है।

8. ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार)

परिचय:
ई-नाम (e-NAM – National Agriculture Market) एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जिसे 2016 में शुरू किया गया। इसका उद्देश्य किसानों को देशभर की मंडियों से जोड़ना और पारदर्शी व उचित मूल्य दिलाना है।

मुख्य लाभ:

  • किसान अपनी उपज को स्थानीय मंडी तक सीमित न रखकर देशभर के खरीदारों को बेच सकते हैं।
  • मंडियों में दलालों की भूमिका कम होती है और किसान को सीधे खरीदार से पैसा मिलता है।
  • ई-नाम प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन बोली और भुगतान प्रणाली है।
  • इससे किसानों को बेहतर दाम और तुरंत भुगतान सुनिश्चित होता है।
  • मंडियों में गुणवत्ता जांच (Quality Testing) की भी सुविधा दी जाती है।

पात्रता:

  • सभी पंजीकृत किसान अपनी उपज बेच सकते हैं।
  • व्यापारी और मंडी समिति से जुड़े लोग भी प्लेटफॉर्म पर जुड़ सकते हैं।

आवेदन प्रक्रिया:

  1. किसान enam.gov.in पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
  2. आधार कार्ड, बैंक खाता और उपज का विवरण ज़रूरी है।
  3. स्थानीय APMC मंडी से पंजीकरण करवाना होता है।

निष्कर्ष:
ई-नाम किसानों के लिए डिजिटल क्रांति की ओर एक बड़ा कदम है। इससे किसान अपने उत्पाद का बेहतर मूल्य, पारदर्शी लेनदेन और बड़े बाजार तक पहुँच बना सकते हैं।

9. पारंपरिक कृषि विकास योजना (PKVY)

पारंपरिक कृषि विकास योजना (PKVY) को भारत सरकार ने वर्ष 2015 में शुरू किया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ावा देना और किसानों को रासायनिक खादों व कीटनाशकों पर निर्भरता से मुक्त करना है।

इस योजना के अंतर्गत किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और वित्तीय सहयोग प्रदान किया जाता है। किसानों को समूह बनाकर (क्लस्टर आधारित खेती) जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। हर क्लस्टर में लगभग 20 हेक्टेयर भूमि शामिल होती है, जहाँ किसान सामूहिक रूप से जैविक खेती करते हैं।

सरकार किसानों को जैविक खाद, जैविक कीटनाशक और प्रमाणन (Organic Certification) के लिए आर्थिक मदद देती है। प्रमाणन मिलने के बाद किसान अपनी उपज को जैविक उत्पाद के रूप में बेच सकते हैं, जिससे उन्हें सामान्य बाजार की तुलना में बेहतर दाम मिलता है।

इस योजना का एक और फायदा यह है कि इससे मिट्टी की गुणवत्ता सुधरती है, पर्यावरण सुरक्षित रहता है और उपभोक्ताओं को स्वास्थ्यवर्धक अनाज, फल-सब्जियाँ उपलब्ध होते हैं।

संक्षेप में, PKVY किसानों को सस्ती और टिकाऊ खेती की ओर ले जाने वाली योजना है, जो लंबे समय में उनकी आय बढ़ाने और भारत को जैविक खेती में अग्रणी बनाने की दिशा में अहम भूमिका निभाती है।

10. प्रधानमंत्री किसान मान-धन योजना (PM-KMY)

परिचय:
प्रधानमंत्री किसान मान-धन योजना (PM-KMY) किसानों के लिए एक पेंशन योजना है जिसे 2019 में शुरू किया गया। इस योजना का उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है।

लाभ:

  • योजना के तहत किसान को 60 वर्ष की आयु के बाद हर महीने ₹3,000 की पेंशन मिलती है।
  • यह एक स्वैच्छिक और योगदान आधारित योजना है।
  • इसमें किसान और सरकार दोनों मिलकर योगदान करते हैं।
  • यदि किसान की मृत्यु 60 वर्ष की आयु से पहले हो जाती है, तो उसकी पत्नी (पत्नी/पति) को योजना जारी रखने या एकमुश्त धनराशि लेने का विकल्प मिलता है।

पात्रता:

  • छोटे और सीमांत किसान जिनके पास 2 हेक्टेयर तक कृषि भूमि है।
  • उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
  • जो किसान आयकर दाता, सरकारी कर्मचारी या पेंशनधारी हैं, वे पात्र नहीं हैं।

आवेदन प्रक्रिया:

  • किसान कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) में जाकर आवेदन कर सकते हैं।
  • ज़रूरी दस्तावेज़: आधार कार्ड, भूमि दस्तावेज़, बैंक पासबुक।
  • योजना की आधिकारिक वेबसाइट: https://csc.gov.in/pmkmy

👉 यह योजना किसानों को बुढ़ापे में सम्मान और आर्थिक सहारा देती है।

11. प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM)

प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) योजना 2019 में शुरू की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को सस्ती और पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा उपलब्ध कराना है, ताकि वे खेती के लिए महंगे डीजल या बिजली पर निर्भर न रहें।

योजना की प्रमुख बातें:

  • किसानों को सोलर पंप सेट लगाने पर 60% तक सब्सिडी दी जाती है।
  • लगभग 30% ऋण बैंक से मिलता है और केवल 10% राशि किसान को स्वयं निवेश करनी होती है।
  • इस योजना के तहत डीजल/बिजली के पंपों को सौर ऊर्जा पंप में बदला जा सकता है।
  • किसान अपने खेतों में सोलर प्लांट लगाकर न सिर्फ सिंचाई कर सकते हैं बल्कि अतिरिक्त बिजली को बिजली बोर्ड को बेचकर अतिरिक्त आय भी कमा सकते हैं।

लाभ:

  1. किसानों का बिजली और डीजल खर्च बचेगा।
  2. फसलों की सिंचाई आसान और लगातार होगी।
  3. अतिरिक्त बिजली बेचकर किसान हर साल हजारों रुपये कमा सकते हैं।
  4. यह योजना किसानों को आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा दोनों देती है।

आवेदन प्रक्रिया:

  • किसान अपने राज्य की ऊर्जा विभाग की वेबसाइट या कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) से आवेदन कर सकते हैं।
  • आधार कार्ड, जमीन के कागज और बैंक खाता ज़रूरी दस्तावेज हैं।

👉 यह योजना किसानों को खेती के साथ-साथ ऊर्जा उत्पादन में भागीदार बनाती है।

12. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) को केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 में शुरू किया था। इसका मुख्य उद्देश्य है मत्स्य पालन (Fisheries) क्षेत्र का विकास करना और मछुआरों की आय को दोगुना करना। यह योजना “नीली क्रांति” (Blue Revolution) को बढ़ावा देने के लिए लाई गई है।

मुख्य लाभ:

  • मत्स्य पालन के लिए आधुनिक तकनीक, तालाब, टैंक, हैचरी, कोल्ड स्टोरेज और फीड मिल बनाने में वित्तीय सहायता।
  • मत्स्य उत्पादों के भंडारण, परिवहन और मार्केटिंग में सहयोग।
  • निर्यात क्षमता बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय मत्स्य उत्पादों की मांग को मजबूत करना।
  • रोजगार सृजन, खासकर ग्रामीण इलाकों में।

पात्रता:

  • सभी मछुआरे, मत्स्य किसान, FPOs, सहकारी समितियाँ और स्टार्टअप इस योजना के अंतर्गत आवेदन कर सकते हैं।

आवेदन प्रक्रिया:

👉 यह योजना मछुआरों को आत्मनिर्भर बनाने, उत्पादन बढ़ाने और भारत को विश्वस्तरीय मत्स्य निर्यातक देश बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

13. अटल भूजल योजना (Atal Bhujal Yojana)

परिचय:
अटल भूजल योजना भारत सरकार द्वारा 25 दिसंबर 2019 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर शुरू की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य है – भूजल का संरक्षण और उसका बेहतर प्रबंधन

लक्ष्य:
भारत के कई राज्यों में पानी की कमी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। खासकर खेती के लिए भूजल का अत्यधिक दोहन किया जाता है। इस योजना के जरिए किसानों और ग्राम पंचायतों को भूजल संरक्षण में शामिल किया जाता है।

लाभ:

  • किसानों को पानी की बचत करने वाली तकनीकों जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है।
  • ग्राम पंचायतों को भूजल प्रबंधन के लिए धनराशि दी जाती है।
  • सामुदायिक भागीदारी से जल संरक्षण को बढ़ावा मिलता है।
  • जल स्तर सुधारने के लिए वर्षा जल संचयन, छोटे तालाब, चेक डैम जैसी संरचनाएँ बनाई जाती हैं।

पात्रता और कार्यान्वयन:
यह योजना 7 राज्यों – गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 78 जिलों और 8,300 ग्राम पंचायतों में लागू है।

निष्कर्ष:
अटल भूजल योजना खेती को टिकाऊ बनाने और आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अगर किसान भाई इसका सही उपयोग करें तो न केवल उनकी फसल सुरक्षित होगी बल्कि गाँव का भविष्य भी सुरक्षित रहेगा।

14. ग्रामीण भंडारण योजना

ग्रामीण भंडारण योजना किसानों को अपनी फसल सुरक्षित रखने की सुविधा प्रदान करती है। अक्सर किसानों को मजबूरी में फसल कटाई के तुरंत बाद औने-पौने दामों पर अपनी उपज बेचनी पड़ती है, क्योंकि उनके पास भंडारण (Storage) की व्यवस्था नहीं होती। इस समस्या को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने ग्रामीण भंडारण योजना शुरू की है।

योजना के मुख्य उद्देश्य:

  • गाँव स्तर पर आधुनिक गोदाम और भंडारण संरचना विकसित करना।
  • किसानों को अपनी उपज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की सुविधा देना।
  • किसानों को सही समय पर उपज बेचने का विकल्प प्रदान करना ताकि वे बेहतर दाम प्राप्त कर सकें।
  • बाजार में मांग और आपूर्ति का संतुलन बनाए रखना।

लाभ और सुविधाएँ:

  • किसानों, किसान समूहों, सहकारी समितियों और NGOs को गोदाम निर्माण पर 25% से 33% तक की सब्सिडी मिलती है।
  • SC/ST किसानों और महिलाओं के लिए सब्सिडी दर और अधिक है।
  • बैंक से आसान ऋण उपलब्ध होता है।
  • भंडारण के लिए बने गोदामों में वैज्ञानिक तरीके से फसल संरक्षित रहती है, जिससे खराब होने का खतरा कम होता है।

आवेदन प्रक्रिया:

किसान नज़दीकी बैंक, NABARD या कृषि विभाग के माध्यम से इस योजना के तहत गोदाम निर्माण हेतु आवेदन कर सकते हैं।

15. राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA)

राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) को 2014-15 में शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य खेती को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाना और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना है। यह योजना किसानों को ऐसी तकनीकों और उपायों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है जिससे उत्पादन तो बढ़े ही, साथ ही मिट्टी, पानी और पर्यावरण की रक्षा भी हो सके।

मुख्य उद्देश्य:

  • मिट्टी की गुणवत्ता और उर्वरता में सुधार।
  • जल संरक्षण और सिंचाई दक्षता बढ़ाना।
  • जैविक और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देना।
  • खेती में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न जोखिम कम करना।

लाभ:

  • किसानों को मृदा संरक्षण, जल प्रबंधन और सूक्ष्म सिंचाई पर सहायता मिलती है।
  • जैविक खेती, वर्मी कम्पोस्ट, और एकीकृत पोषण प्रबंधन जैसी गतिविधियों पर सब्सिडी दी जाती है।
  • जलवायु आधारित खेती तकनीक अपनाने पर प्रशिक्षण और वित्तीय मदद।

आवेदन प्रक्रिया:
किसान अपने जिले के कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।

👉 यह योजना किसानों को भविष्य के लिए तैयार करती है ताकि वे बदलते मौसम और बढ़ती चुनौतियों के बीच सुरक्षित और लाभकारी खेती कर सकें।

16. प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA)

प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) की शुरुआत किसानों की आमदनी सुरक्षित करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित करने के लिए की गई थी। अक्सर बाजार में फसलों के दाम अस्थिर होते हैं और किसानों को उनका सही मूल्य नहीं मिल पाता। इसी समस्या को हल करने के लिए PM-AASHA योजना लागू की गई।

इस योजना के तहत सरकार यह सुनिश्चित करती है कि यदि किसी फसल का बाजार मूल्य MSP से कम हो जाता है, तो किसानों को मुआवजा या सरकारी खरीद के माध्यम से उनका हक मिले। योजना की तीन प्रमुख शाखाएँ हैं:

  1. Price Support Scheme (PSS) – जहां सरकार फसल सीधे खरीदती है।
  2. Price Deficiency Payment Scheme (PDPS) – MSP और बाजार मूल्य के बीच अंतर का भुगतान सीधे किसानों के बैंक खाते में किया जाता है।
  3. Pilot Schemes – कुछ राज्यों में विशेष रूप से नई और जोखिमपूर्ण फसलों के लिए।

लाभ:

  • किसानों की आय में स्थिरता आती है।
  • बाजार की अस्थिरता और न्यूनतम दाम की चिंता कम होती है।
  • खेती को लाभकारी और आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलती है।

पात्रता और आवेदन:

  • यह योजना सभी रबी और खरीफ फसल उगाने वाले किसानों के लिए है।
  • किसान अपने नज़दीकी कृषि कार्यालय या राज्य सरकार के पोर्टल से पंजीकरण कर सकते हैं।

PM-AASHA किसानों को आर्थिक सुरक्षा देती है और उन्हें फसल उत्पादन में उत्साहित करती है।

17. कृषि यांत्रिकीकरण उप-मिशन (SMAM)

परिचय:
कृषि यांत्रिकीकरण उप-मिशन (Sub-Mission on Agricultural Mechanization – SMAM) का उद्देश्य भारतीय किसानों को कृषि कार्यों में आधुनिक मशीनरी और उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए प्रेरित करना है। यह योजना 2014-15 में शुरू हुई थी और इसे कृषि मंत्रालय के तहत लागू किया जाता है।

लाभ:

  • किसानों को ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, थ्रेशर, पावर टिलर, ड्रिप सिंचाई सिस्टम जैसी मशीनों पर सब्सिडी दी जाती है।
  • छोटे और सीमांत किसानों के लिए समूह में मशीनरी उपलब्ध कराई जाती है ताकि लागत कम हो।
  • इससे खेती में समय की बचत होती है, मजदूरी की लागत घटती है और उत्पादन बढ़ता है।
  • महिलाओं और युवा किसानों को भी प्रशिक्षण देकर आधुनिक कृषि तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

पात्रता:

  • सभी छोटे, सीमांत और मझोले किसान पात्र हैं।
  • FPOs (Farmer Producer Organizations) और कृषि सहकारी समितियाँ भी आवेदन कर सकती हैं।

आवेदन प्रक्रिया:

  1. नज़दीकी कृषि विभाग कार्यालय या CSC केंद्र पर आवेदन करें।
  2. आवश्यक दस्तावेज़ – आधार कार्ड, भूमि रिकॉर्ड, बैंक विवरण।
  3. आवेदन की स्थिति और सब्सिडी राशि website पर चेक की जा सकती है।

निष्कर्ष:
SMAM योजना से किसान किफायती, आधुनिक और समय बचाने वाली मशीनों का उपयोग करके अपनी खेती को अधिक लाभकारी बना सकते हैं। यह योजना विशेष रूप से छोटे किसानों के लिए क्रांतिकारी साबित हो रही है।

18. पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (AHIDF)

परिचय:
पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (Animal Husbandry Infrastructure Development Fund – AHIDF) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य पशुपालन और डेयरी उद्योग को बढ़ावा देना और किसानों की आय बढ़ाना है। यह योजना छोटे और सीमांत किसानों, किसान समूहों, एफपीओ (Farmer Producer Organizations) और स्टार्टअप्स को लाभ पहुंचाती है।

लाभ:

  • योजना के तहत डेयरी, पोल्ट्री, मछली पालन और मांस उद्योग में निवेश करने वाले किसानों को सस्ती दर पर ऋण (loan) दिया जाता है।
  • ऋण पर सरकार 3% तक की ब्याज सब्सिडी देती है।
  • यह योजना किसानों को अपने व्यवसाय के लिए आधुनिक उपकरण, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, चिकनरी फार्म और डेयरी यूनिट स्थापित करने में मदद करती है।
  • इससे किसानों की उत्पादन क्षमता बढ़ती है, उपज सुरक्षित रहती है और उन्हें बेहतर बाजार मूल्य मिलता है।

पात्रता:

  • छोटे और सीमांत किसान
  • FPOs, सहकारी समितियाँ और कृषि स्टार्टअप
  • पशुपालन, पोल्ट्री, डेयरी, मछली पालन में निवेश करने वाले उद्यमी

आवेदन प्रक्रिया:

  • किसान अपने नज़दीकी बैंक शाखा या NBFC के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
  • आवश्यक दस्तावेज: आधार कार्ड, भूमि/व्यवसाय प्रमाण, बैंक खाता।
  • अधिक जानकारी और ऑनलाइन आवेदन Department of Animal Husbandry पर उपलब्ध है।

सारांश:
AHIDF योजना किसानों को पशुपालन और डेयरी व्यवसाय में निवेश करने का मौका देती है, जिससे उनकी आय बढ़ती है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।

19. नमो ड्रोन दीदी योजना

परिचय:
नमो ड्रोन दीदी योजना केंद्र सरकार की एक नवीन पहल है, जिसका उद्देश्य महिला किसानों को ड्रोन ऑपरेशन और कृषि में आधुनिक तकनीक से जोड़ना है। यह योजना किसानों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने, लागत घटाने और महिलाओं को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू की गई है।

लाभ:

  • महिला किसान ड्रोन का उपयोग करके कीटनाशक, उर्वरक और बीज खेतों में समान रूप से छिड़क सकती हैं।
  • इससे समय की बचत होती है और परंपरागत तरीके से छिड़काव में होने वाली मेहनत कम होती है।
  • ड्रोन के माध्यम से खेतों की निगरानी और फसल की स्वास्थ्य जाँच भी की जा सकती है।
  • महिला किसान प्रशिक्षित होकर ड्रोन सेवा प्रदान कर आय भी कमा सकती हैं।

पात्रता:

  • 18 वर्ष से ऊपर की महिला किसान।
  • प्रशिक्षण केंद्र या नज़दीकी कृषि विभाग के माध्यम से नामांकन।

आवेदन प्रक्रिया:

  1. नज़दीकी कृषि विभाग या कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) में आवेदन करें।
  2. आधार कार्ड और भूमि संबंधी कागजात जमा करें।
  3. प्रशिक्षण पूरा करने के बाद ड्रोन संचालन का प्रमाण पत्र मिलेगा।

निष्कर्ष:
नमो ड्रोन दीदी योजना न केवल महिला किसानों को तकनीकी सशक्तिकरण देती है, बल्कि उनकी आय बढ़ाने और खेती को आधुनिक बनाने में भी मदद करती है। यह योजना महिला किसानों के लिए नए रोजगार और अवसर पैदा करती है।