मूली की खेती (Mooli ki Kheti)

मूली की खेती: किस्में, तकनीक और पूरी जानकारी
मूली एक जड़ वाली हरी सब्जी है जो क्रूसीफैरी परिवार से संबंधित है। यह फसल जल्दी पकने वाली और कम मेहनत में अधिक लाभ देने वाली होती है। मूली की जड़ें सफेद, लाल और गुलाबी रंगों में पाई जाती हैं। भारत के कई राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक और असम में मूली की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।
मूली में विटामिन बी6, कैल्शियम, कॉपर, मैग्नीशियम, रिबोफ्लेविन, एसकॉर्बिक एसिड, फॉलिक एसिड और पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यही कारण है कि यह सेहत और बाजार दोनों के हिसाब से किसानों के लिए फायदेमंद फसल है।
मूली की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु
- मिट्टी: भुरभुरी, रेतली-दोमट मिट्टी सबसे अच्छी रहती है। भारी मिट्टी में जड़ें टेढ़ी-मेढ़ी बनती हैं।
- pH मान: 5.5 से 6.8 तक होना चाहिए।
- जलवायु: यह उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण जलवायु में सफल होती है।
- परहेज: बहुत ठंडी या बहुत गर्म तापमान पर उत्पादन घट सकता है।
मूली की प्रमुख किस्में
1. Japanese White
- बिजाई का समय: नवंबर-दिसंबर (मैदानों में) और जुलाई-सितंबर (पहाड़ी क्षेत्रों में)
- जड़ें: बेलनाकार और सफेद
- औसत पैदावार: 160 क्विंटल/एकड़
2. Pusa Chetki
- बिजाई का समय: अप्रैल-अगस्त
- विशेषता: जल्दी पकने वाली किस्म
- पैदावार: 105 क्विंटल/एकड़
3. Pusa Himani
- बिजाई: जनवरी-फरवरी (शाम को)
- फसल तैयार: 60-65 दिन
- पैदावार: 160 क्विंटल/एकड़
4. Punjab Pasand
- बिजाई: मार्च के दूसरे पखवाड़े से लेकर अप्रैल-अगस्त
- फसल तैयार: 45 दिन
- पैदावार: 215 क्विंटल (मुख्य मौसम), 140 क्विंटल (बे-मौसम)
5. Punjab Safed Mooli-2
- पकने का समय: 60 दिन
- पैदावार: 236 क्विंटल/एकड़
अन्य लोकप्रिय किस्में
- Pusa Deshi: 50-55 दिन में तैयार
- Pusa Reshmi: अगेती बिजाई के लिए, 50-60 दिन में तैयार
- Arka Nishant: गुलाबी लंबी जड़ें, 50-55 दिन में तैयार
- Rapid Red White Tipped: यूरोपियन किस्म, केवल 25-30 दिन में तैयार
खेत की तैयारी
- खेत की गहरी जुताई करें और खरपतवार निकालें।
- हर जुताई के बाद सुहागा चलाएं।
- प्रति एकड़ 5-10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद डालें।
- कच्ची खाद कभी न डालें, इससे मूली दोमुंही हो जाती है।
मूली की बिजाई
बिजाई का समय
- Pusa Himani: जनवरी-फरवरी
- Punjab Pasand: मार्च-अगस्त
- Japanese White: नवंबर-दिसंबर
बीज की मात्रा
- प्रति एकड़ 4-5 किलो बीज पर्याप्त है।
बीज की गहराई
- 1.5 सेंटीमीटर गहरा बोएं।
फासला
- पंक्ति से पंक्ति: 45 सेंटीमीटर
- पौधे से पौधा: 7.5 सेंटीमीटर
विधि
- बिजाई पंक्ति या बुरकाव विधि से की जा सकती है।
खाद और उर्वरक प्रबंधन
प्रति एकड़ उर्वरक मात्रा
- यूरिया: 55 किलो
- सिंगल सुपर फॉस्फेट: 75 किलो
- पोटाश: आवश्यकता अनुसार
- नाइट्रोजन: 25 किलो
- फास्फोरस: 12 किलो
खरपतवार नियंत्रण
- पहली गोडाई बिजाई के 2-3 सप्ताह बाद करें।
- खरपतवार हटाने के बाद मेंड़ों पर मिट्टी चढ़ाएं।
सिंचाई प्रबंधन
- पहली सिंचाई बिजाई के तुरंत बाद करें।
- गर्मियों में: 6-7 दिन के अंतराल पर
- सर्दियों में: 10-12 दिन के अंतराल पर
- ज्यादा सिंचाई से जड़ें बेढंगी और रोएंदार हो जाती हैं।
- कटाई से पहले हल्की सिंचाई करें ताकि मूली ताजी बनी रहे।
मूली की बीमारियां और रोकथाम
प्रमुख कीट
- चेपा: पत्तियों पर हमला करता है।
- रोकथाम: मैलाथियॉन 50 EC (1 मि.ली./लीटर पानी) का स्प्रे, 10 दिन के अंतराल पर 2-3 बार।
बीमारियां
- मुरझाना: पत्तों पर पीले धब्बे और फंगस।
- रोकथाम: मैनकोजेब (2 ग्राम/लीटर पानी) + कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम/लीटर पानी) का स्प्रे।
फसल की कटाई और भंडारण
- मूली 25-60 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
- कटाई हाथ से पौधे उखाड़कर करें।
- जड़ों को धोकर आकार के अनुसार छांटें।
- भंडारण के लिए बोरियों और टोकरियों का उपयोग करें।
मूली की खेती में लाभ
- जल्दी तैयार होने वाली फसल → कम समय में आय।
- पोषण से भरपूर → बाजार में मांग अधिक।
- बे-मौसम खेती करने पर दाम दोगुना तक मिल सकता है।
- एक एकड़ से 100-230 क्विंटल तक पैदावार संभव।
मूली की खेती से जुड़े सामान्य सवाल
1. मूली की खेती किस मिट्टी में सबसे अच्छी होती है?
भुरभुरी और रेतली-दोमट मिट्टी मूली के लिए सबसे उपयुक्त होती है।
2. मूली की खेती के लिए कौन सा pH सही है?
मिट्टी का pH 5.5 से 6.8 होना चाहिए।
3. मूली कितने दिनों में तैयार हो जाती है?
किस्म के अनुसार 25 से 60 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
4. मूली की खेती में कितनी सिंचाई करनी चाहिए?
गर्मियों में 6-7 दिन और सर्दियों में 10-12 दिन के अंतराल पर।
5. मूली की प्रमुख किस्में कौन सी हैं?
Japanese White, Pusa Chetki, Pusa Himani, Punjab Pasand, Punjab Safed Mooli-2।
6. मूली की खेती में कितना बीज लगता है?
प्रति एकड़ 4-5 किलो बीज पर्याप्त है।
7. मूली की खेती में औसतन पैदावार कितनी होती है?
100 से 236 क्विंटल प्रति एकड़ तक।
8. मूली की खेती में कौन सी खाद डालनी चाहिए?
सड़ी हुई गोबर की खाद, यूरिया, सिंगल सुपर फॉस्फेट और पोटाश।
9. मूली की प्रमुख बीमारियां कौन सी हैं?
मुरझाना और पत्तियों पर फंगस लगना।
10. मूली उगाने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
सर्दियों में नवंबर से फरवरी तक का समय सबसे अच्छा है।
निष्कर्ष
मूली की खेती भारतीय किसानों के लिए कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है। इसकी जल्दी पकने वाली किस्में छोटे और सीमांत किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती हैं। सही मिट्टी, उर्वरक प्रबंधन और सिंचाई पद्धति अपनाकर किसान कम समय में अच्छी पैदावार और बढ़िया दाम पा सकते हैं।
👉 किसानों को चाहिए कि वे स्थानीय जलवायु और बाजार की मांग को देखते हुए किस्म का चयन करें और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करें। मूली की खेती अपनाकर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं और परिवार की सेहत भी सुधार सकते हैं।
👉 सरकारी जानकारी और योजनाओं के लिए देखें: https://agriwelfare.gov.in/
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