हमारे किसान ब्लॉग में आपका स्वागत है – जहाँ मिट्टी से जुड़ती है आत्मा
भारत के गाँवों की जड़ में बसी है एक ऐसी ज़िंदगी जो धरती से गहराई से जुड़ी हुई है—आत्मनिर्भर खेती (Subsistence Farming)। यह ब्लॉग उन सच्ची कहानियों, पुराने अनुभवों और खेती से जुड़े ज्ञान को साझा करने के लिए है, जो हम अपने खेतों में रोज़ जीते हैं।
आत्मनिर्भर खेती क्या है?
आत्मनिर्भर खेती एक पारंपरिक खेती का तरीका है, जिसमें किसान मुख्य रूप से अपने परिवार के खाने के लिए फसल उगाते हैं, न कि बाज़ार में बेचने के लिए। गेहूं, चावल, दालें या सब्ज़ियाँ—जो ज़रूरत है, बस उतना ही। यह खेती का तरीका भारत के ग्रामीण इलाकों में आज भी आम है, जहाँ लोग प्रकृति के साथ मिलकर जीवन जीते हैं।
हमने यह ब्लॉग क्यों शुरू किया?
इस ब्लॉग की शुरुआत इस उद्देश्य से हुई कि हम अपनी ज़मीन से जुड़ी ज़िंदगी की चुनौतियों और खूबसूरती को दुनिया के सामने ला सकें। चाहे मौसम की मार हो या पानी की कमी, या फिर अच्छी फसल की खुशी—हर किसान की कहानी में कुछ सिखने लायक है। इस ब्लॉग के माध्यम से हम:
- पारंपरिक खेती के तरीकों को सहेजना चाहते हैं।
- आज की तेज़ी से बदलती दुनिया में आत्मनिर्भर खेती के महत्व को दिखाना चाहते हैं।
- जैविक और रासायन-मुक्त खेती को बढ़ावा देना चाहते हैं।
- नए और युवा किसानों को जोड़ना चाहते हैं।
हमारा विज़न
हमारा सपना है कि हम छोटे किसानों की आवाज़ बनें और सादे, आत्मनिर्भर जीवन के विचार को लोगों तक पहुँचाएँ।
🌐 जानिए: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)
आप किसान हों, कृषि छात्र हों या भारत के ग्रामीण जीवन में रुचि रखने वाले कोई भी हों—यह ब्लॉग आपके लिए है।
हमारे साथ करें ग्रामीण भारत की यात्रा
हम खेती से जुड़े यात्रा (Travel) पहलू को भी कवर करते हैं—जैसे खेतों के सुंदर दृश्य, गांवों के त्यौहार, और देसी परंपराएं। भारत के गाँव सिर्फ खेती नहीं, संस्कृति और सदियों पुरानी विरासत से भरे हुए हैं। हम आपको इन गाँवों की सैर करवाते हैं, जहाँ ज़िंदगी सीधी, पर अर्थपूर्ण है।
हमारे साथ जुड़िए
ऑर्गेनिक खेती, मौसमी सुझाव और प्रेरणादायक ग्रामीण कहानियों के लिए हमारे साथ बने रहिए। आइए हम सब मिलकर आत्मनिर्भर खेती की इस परंपरा को आगे बढ़ाएँ।
आपका धन्यवाद।
आपके समर्थन से हमें भारत की खेती की अनकही कहानियाँ बताने की प्रेरणा मिलती है।