मटर की खेती कैसे करें (Matar ki Kheti Kaise Karein)

मटर की खेती कैसे करें (Matar ki Kheti Kaise Karein)

मटर की खेती कैसे करें (Matar ki Kheti Kaise Karein) – पूरी जानकारी

मटर भारत में ठंडी ऋतु की एक महत्वपूर्ण दलहनी एवं सब्जी फसल है। यह न केवल स्वादिष्ट हरी सब्जी प्रदान करती है, बल्कि मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करके मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाती है। सब्जी वाली मटर की खेती किसानों को कम समय में अच्छा मुनाफा देती है।

1. खेत की तैयारी (खेत की मिट्टी कैसी हो?)

1.1 भूमि का चयन

  • मटर की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है।
  • पानी का निकास अच्छा होना चाहिए ताकि जड़ों में सड़न न हो।

1.2 मिट्टी की जांच

  • pH मान 6.0–7.5 के बीच होना चाहिए।
  • मिट्टी जांच करवाकर कमी वाले पोषक तत्व पहले ही डालें।

1.3 गहरी जुताई

  • ग्रीष्मकाल में एक बार गहरी जुताई हल या रोटावेटर से करें।
  • जुताई से कीट व खरपतवार के अंडे नष्ट होते हैं।

1.4 समतलीकरण

  • खेत समतल रखें ताकि पानी समान रूप से फैले।

1.5 जैविक खाद का प्रयोग

  • 20–25 टन गोबर की सड़ी खाद या कम्पोस्ट प्रति एकड़ खेत में मिलाएं।

1.6 नमी प्रबंधन

  • मिट्टी में पर्याप्त नमी रखें, अत्यधिक सूखा या पानी भराव हानिकारक है।

1.7 क्यारियों का निर्माण

  • 1–1.2 मीटर चौड़ी क्यारियां बनाकर बीच में नालियां रखें।

2. बीज उपचार और चयन

2.1 उन्नत किस्म का चयन

  • हरी मटर की खेती के लिए पूसा प्रगति, अरकल, जवाहर मटर, आजाद मटर जैसी किस्में उत्तम हैं।

2.2 रोगमुक्त बीज का चयन

  • प्रमाणित एवं स्वस्थ बीज ही खरीदें।

2.3 बीज शोधन

  • थायरम या कार्बेन्डाजिम 2–3 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचार करें।

2.4 जैविक उपचार

  • राइजोबियम व PSB कल्चर से बीज उपचार करने से उपज बढ़ती है।

2.5 भंडारण से पूर्व निरीक्षण

  • बीज को छानकर छोटे, कटे-फटे व रोगग्रस्त दानों को हटा दें।

3. रोपण: बुवाई का सही समय व तरीका

3.1 बुवाई का सही मौसम

  • उत्तर भारत में अक्टूबर–नवंबर, दक्षिण भारत में नवंबर–दिसंबर आदर्श समय है।

3.2 बीज की मात्रा

  • प्रति एकड़ 35–40 किलो बीज पर्याप्त है।

3.3 बुवाई की गहराई

  • 4–5 सेंटीमीटर गहराई पर बुवाई करें।

3.4 पौधों के बीच दूरी

  • कतार से कतार 30 सेमी, पौधे से पौधा 10 सेमी रखें।

3.5 मेड़-नाली या क्यारी विधि

  • सिंचाई सुविधा के अनुसार क्यारी या मेड़-नाली पद्धति अपनाएं।

4. सिंचाई: कितनी बार और कैसे करें?

4.1 प्रारंभिक सिंचाई

  • बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।

4.2 सिंचाई का समय अंतराल

  • 10–12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।

4.3 मौसम के अनुसार समायोजन

  • ठंड अधिक होने पर सिंचाई अंतराल बढ़ा सकते हैं।

4.4 ड्रिप या फव्वारा विधि

  • ड्रिप से जल व उर्वरक दोनों की बचत होती है।

4.5 अधिक या कम सिंचाई से नुकसान

  • अत्यधिक सिंचाई से जड़ों में सड़न, कम सिंचाई से फलियां सिकुड़ जाती हैं।

5. उर्वरक प्रबंधन

5.1 बेसल डोज

  • जुताई के समय 20 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस, 20 किलो पोटाश प्रति एकड़ दें।

5.2 जैविक खाद का प्रयोग

  • गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें।

5.3 फसल अवस्था अनुसार पोषण

  • फूल आने से पहले हल्की नाइट्रोजन की डोज दें।

5.4 सूक्ष्म पोषक तत्वों की आपूर्ति

  • जिंक, बोरॉन की कमी दिखे तो पर्णीय छिड़काव करें।

6. कीट और रोग नियंत्रण

6.1 सामान्य कीट पहचान

  • एफिड, पत्ती मोड़क, फल छेदक।

6.2 जैविक कीटनाशकों का उपयोग

  • नीम का तेल 5 मिली/लीटर पानी में छिड़कें।

6.3 रासायनिक नियंत्रण

  • कीट गंभीर होने पर अनुशंसित कीटनाशक का प्रयोग करें।

6.4 रोग प्रतिरोधक उपाय

  • बीज उपचार और फसल चक्र अपनाएं।

6.5 फसल निरीक्षण

  • हर 7 दिन में फसल का निरीक्षण करें।

7. खरपतवार नियंत्रण

7.1 प्रारंभिक नियंत्रण

  • बुवाई के 20–25 दिन बाद पहली निराई करें।

7.2 हाथ से निराई

  • श्रमिकों द्वारा हाथ से खरपतवार निकालें।

7.3 कुदाल से निराई

  • कतारों के बीच कुदाल से निराई-गुड़ाई करें।

7.4 खरपतवारनाशी दवाओं का प्रयोग

  • पेंडिमेथालिन 1 लीटर/एकड़ बुवाई के तुरंत बाद छिड़कें।

7.5 समयबद्ध नियंत्रण

  • फसल अवधि में 2–3 बार खरपतवार नियंत्रण करें।

8. कटाई और भंडारण

8.1 कटाई का सही समय

  • जब फलियां हरी, दाने भरपूर व मुलायम हों।

8.2 खुदाई की विधि

  • हाथ से तोड़ाई या पौधों को काटकर फलियां निकालें।

8.3 धुलाई और सफाई

  • बाजार में भेजने से पहले अच्छी तरह साफ करें।

8.4 सुखाने की प्रक्रिया

  • बीज के लिए 10–12% नमी तक सुखाएं।

8.4 भंडारण की विधि

  • सूखे व साफ स्थान पर जूट की बोरियों में रखें।

9. मटर की खेती में लाभ और लागत

विवरणप्रति एकड़ अनुमान
लागत₹18,000–₹22,000
उत्पादन50–60 क्विंटल हरी मटर
बाजार मूल्य₹25–₹40 प्रति किलो
शुद्ध लाभ₹50,000–₹80,000

लाभ बढ़ाने के उपाय:

  • उन्नत किस्में अपनाएं।
  • समय पर बुवाई और सिंचाई करें।
  • सीधी मंडी में बिक्री करें।

10. FAQ – मटर की खेती

1. मटर की बुवाई का सही समय क्या है?
मटर की बुवाई के लिए अक्टूबर से नवंबर का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। अधिक उपज के लिए बुवाई ठंडी जलवायु में करनी चाहिए। देर से बुवाई करने पर पैदावार और गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो सकती हैं।

2. कितनी बीज मात्रा लगती है?
एक एकड़ खेत के लिए 35–40 किलो बीज की आवश्यकता होती है। बुवाई से पहले बीज को फफूंदनाशक से उपचारित करना जरूरी है ताकि रोगों से बचाव हो सके।

3. मटर की उन्नत किस्में कौन-सी हैं?
अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता के लिए निम्न किस्में लोकप्रिय हैं:

  • जल्दी तैयार होने वाली किस्में (कटाई 60–75 दिन में)
    • अरकल (Arkel) – जल्दी तैयार, मीठे दाने, ताज़ा बाज़ार के लिए उपयुक्त।
    • अर्ली बैजर (Early Badger) – जल्दी कटाई, अच्छा स्वाद।
    • बोनविले (Bonneville) – समान आकार की फलियाँ, जल्दी बाज़ार में भेजने के लिए उपयुक्त।
    • पूसा प्रगति (Pusa Pragati) – अधिक उत्पादन, अच्छी गुणवत्ता।
  • मध्यम अवधि वाली किस्में (कटाई 80–90 दिन में)
    • आजाद मटर-1 (Azad Matar-1) – रोग प्रतिरोधक, समान आकार की फलियाँ।
    • पूसा श्री (Pusa Shree) – अच्छा स्वाद, मध्यम उपज, रोग सहनशील।
    • वी.एल. मटर-8 (VL Matar-8) – पहाड़ी और मैदानी दोनों क्षेत्रों के लिए उपयुक्त।
    • पूसा श्रीहरी (Pusa Shreehari) – अच्छी गुणवत्ता के दाने, मध्यम अवधि।
  • देर से तैयार होने वाली किस्में (कटाई 95–110 दिन में)
    • लिंकन (Lincoln) – अधिक उपज, प्रोसेसिंग उद्योग के लिए उपयुक्त।
    • पूसा श्रीरत्न (Pusa Shreeratna) – देर से तैयार, भंडारण के लिए अच्छी।
    • पूसा कंचन (Pusa Kanchan) – बड़ी फलियाँ, रोग प्रतिरोधी।
  • प्रोसेसिंग व निर्यात के लिए उपयुक्त किस्में
    • ओरेगन शुगर पॉड (Oregon Sugar Pod) – चपटी फलियाँ, निर्यात के लिए अच्छी।
    • एल्डरमैन (Alderman) – लंबी बेल, बड़ी फलियाँ, फ्रीज़िंग के लिए उपयुक्त।
    • केल्वेडोन वंडर (Kelvedon Wonder) – मीठा स्वाद, कैनिंग व फ्रीज़िंग के लिए अच्छी।

        4. मटर के लिए कौन-सी मिट्टी अच्छी है?
        बलुई दोमट व दोमट मिट्टी मटर की खेती के लिए सर्वोत्तम होती है। मिट्टी का pH 6–7 के बीच होना चाहिए और जल निकासी अच्छी होनी चाहिए।

        5. सिंचाई कितने दिन में करनी चाहिए?
        हर 10–12 दिन में सिंचाई करनी चाहिए। बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई हल्की करनी चाहिए। फूल और दाने बनने के समय नमी बनाए रखना जरूरी है।

        6. मटर के प्रमुख कीट कौन-कौन से होते हैं?

        • एफिड (Aphid) – पत्तियों का रस चूसकर फसल को कमजोर करते हैं।
        • फल छेदक (Pod Borer) – फलियों के अंदर दाने को नुकसान पहुंचाते हैं।

        7. मटर में रोग कैसे रोकें?

        • बीज को कार्बेन्डाजिम या थायरम से उपचारित करें।
        • फसल चक्र अपनाएं और लगातार एक ही खेत में मटर की खेती न करें।

        8. प्रति एकड़ उपज कितनी होती है?
        अच्छी देखभाल और सही समय पर बुवाई करने पर प्रति एकड़ 50–60 क्विंटल हरी मटर प्राप्त की जा सकती है।

        9. लाभ कितना मिलता है?
        प्रति एकड़ ₹50,000 से ₹80,000 तक का शुद्ध लाभ संभव है, जो बाजार भाव और उत्पादन लागत पर निर्भर करता है।

        10. हरी मटर का भंडारण कैसे करें?
        हरी मटर को ठंडी, सूखी और हवादार जगह पर रखें। अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने के लिए इन्हें फ्रीज में स्टोर किया जा सकता है।

        11. मटर की खेती में खाद कितनी डालें?
        बुवाई के समय 20:40:20 (N:P:K) बेसल डोज डालें। खेत में गोबर की अच्छी सड़ी हुई खाद (5–6 टन/एकड़) भी डालना लाभदायक है।

        12. क्या मटर खेत की उर्वरता बढ़ाती है?
        हां, मटर की फसल में नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) की क्षमता होती है, जिससे खेत की उर्वरता स्वाभाविक रूप से बढ़ती है और अगली फसल को भी लाभ मिलता है।

        कृषि संबंधी सरकारी जानकारी – किसान पोर्टल
        फसल खेती की जानकारी – subsistencefarming.in